पत्रकार मारिया रेसा (Maria Ressa), दमित्री मुर्तोव (Dmitry Muratov) को शांति के लिए इस साल का नोबेल पीस प्राइज 2021 (Nobel Peace Prize) दिया गया है। यह सम्मान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए उनके प्रयास को देखते हुए दिया गया है। नोबल कमिटी के मुताबिक तथ्य-आधारित पत्रकारिता आम लोगों को सत्ता के दुरुपयोग, झूठ और युद्ध की अफवाहों से बचाता है। साथ ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सूचना की आजादी जनता का बुनियादी अधिकार है। नोबेल समिति ने इन्हीं अधिकारों की रक्षा को महत्व देने के लिए पत्रकार मारिया रेसा और दमित्री मुर्तोव को इस अवार्ड के लिए चुना। आपको बता दें कि शांति का नोबेल पुरस्कार एक मात्रा ऐसा पुरस्कार है जिसकी घोषणा रॉयल स्वेडिश एकेडमी ऑफ साइंस (Royal Swedish Academy Of Science) नहीं करती। शांति के नोबेल पुरस्कारों की घोषणा नार्वे की संसद द्वारा चुनी गई एक समिति करती है।
क्या है इनका योगदान?
दमित्री मुर्तोव ने रसिया में दशकों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। दमित्री 1993 में ‘नोवाजा गजेटा’ नाम के स्वतंत्र अखबार की संस्थापकों में शामिल थे। इसकी स्थापना के बाद से इसके 6 पत्रकार मारे जा चुके हैं, लेकिन मौत और अन्य प्रकार की धमकियों के बावजूद इन्होंने स्वतंत्र पत्रकारिता से समझौता नहीं किया। मारिया रेसा फिलीपीन्स में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रका के लिए संघर्ष कर रही हैं। इन्होंने बिना डरे सत्ता द्वारा ताकत के दुरुपयोग, हिंसा के इस्तेमाल और बढ़ती तानाशाही का विरोध किया। ये 2012 में इंवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म के लिए एक डिजिटल मीडिया कंपनी की सह-संस्थापक भी रही हैं।
नोबेल पुरस्कारों शुरुआत नोबेल फाउंडेशन की ओर से 1901 की गई थी। ये पुरस्कार स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में दिया जाता है। ये शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में दुनिया का सर्वोच्च पुरस्कार है। इसमें विजेता को एक मेडल, एक डिप्लोमा और मोनेटरी अवार्ड दिया जाता है।