नीमच जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मनासा में पदस्थ कर्मचारी साजन चौहान को छह माह से वेतन नहीं देने के मामले में मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जैन ने कलेक्टर एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) नीमच से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
मालूम हो, साजन चौहान ने वेतन नहीं मिलने से परेशान होकर जान देने की कोशिश की थी। उसका नीमच के बड़े अस्पताल में इलाज चल रहा है। चौहान का कहना है कि वह कोविड काल से ही मनासा के अस्पताल में कार्य कर रहा है। वर्तमान में आक्सीजन प्लांट में कार्यरत है। मगर पिछले छह माह से वेतन ही नहीं दिया जा रहा है।
इस संबंध में उसने ब्लाक मेडिकल आफिसर, विधायक व अन्य जनप्रतिनिधिओं व अधिकारियों को भी अवगत कराया, परंतु वेतन नहीं दिया है। परिवार की भूखे मरने की स्थिति से आहत होकर उसने आत्मघाती कदम उठाया। चौहान ने ब्लाक मेडिकल आफिसर और लिपिक पर रिश्वत मांगने के आरोप भी लगाए हैं।
उत्तराधिकारियों को दें पांच लाख रुपये
आयोग ने राज्य शासन से विचाराधीन बंदी की मौत पर मृतक के उत्तराधिकारियों को पांच लाख स्र्पये दो माह में देने की अनुशंसा की है। यह अनुशंसा जिला जेल बैतूल में विचाराधीन बंदी मंटू उर्फ शंकर द्वारा आत्महत्या करने के मामले में की है। आयोग ने कहा है कि राज्य शासन चाहे तो इस क्षतिपूर्ति राशि की वसूली दोषी जेल अधिकारियों/कर्मचारियों से कर सकता है।
अनुशंसा में आयोग ने यह भी कहा है कि राज्य शासन जेल परिसर के अंदर बंदियों की सुरक्षा के लिए आवश्यक व्यवस्था करे। मालूम हो, विचाराधीन बंदी मंटू ने 21 अक्टूबर 2020 को आत्महत्या का प्रयास किया था। इलाज के दौरान हमीदिया अस्पताल, भोपाल में 24 अक्टूबर 2020 को उसकी मृत्यु हो गई थी। आयोग ने पाया कि जेलकर्मियों की लापरवाही के कारण मृतक के जीवन जीने के अधिकार और उसके मानव अधिकारों की उपेक्षा हुई।