प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘वोकल फार लोकल” का सूत्र वाक्य देश की इकलौती सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) अकादमी ने सफल कर दिखाया है। ग्वालियर के पास टेकनपुर में स्थित अकादमी के नेशनल ट्रेनिंग सेंटर फार डाग्स में श्वानों में उत्कृष्ट भारतीय नस्ल मुधोल हाउंड का कुनबा पहली बार बढ़ा है। मादा श्वान गौरी ने दस बच्चों को जन्म दिया है जिसमें पांच नर और पांच मादा हैं। इस नस्ल के श्वान 360 डिग्री पर देखने की क्षमता रखते हैं। मुधोल हाउंड नस्ल का यह पहला बैच होगा जिसे प्रशिक्षण के बाद राष्ट्र सेवा में लगाया जाएगा। अभी तक देसी नस्लों में से केवल रामपुर हाउंड के श्वान ही सीमाओं पर ड्यूटी कर रहे हैं।
इस ट्रेनिंग सेंटर में दो देसी नस्ल रामपुर हाउंड और मुधोल हाउंड के श्वानों के प्रशिक्षण से लेकर प्रजनन तक का कार्य किया जा रहा है। रामपुर हाउंड का एक बैच तैयार कर सेवा के लिए भेजा जा चुका है। मुधोल हाउंड की संख्या बढ़ाने के लिए सुरक्षित प्रजनन की प्रक्रिया निगरानी में कराई गई।
मुधोल हाउंड में देखने और शिकार का अद्भुत कौशल
कर्नाटक के मुधोल से निकली इस मूलत: भारतीय नस्ल के श्वान 360 डिग्री पर देखने की क्षमता रखते हैं। इसी वजह से इस नस्ल को साइट हाउंड भी कहा जाता है। पतला शरीर और गजब की फुर्ती के दम पर ये बेहतरीन शिकारी होते हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण इस ट्रेनिंग सेंटर ने मुधोल हाउंड को प्रशिक्षण के लिए चुना। यह भी उल्लेखनीय है कि जर्मन शेफर्ड जैसी विदेशी नस्ल के मुकाबले मुधोल हाउंड आधे समय में ही काम कर लेता है। ट्रेनिंग सेंटर के कमान अधिकारी ने बताया कि नौ जनवरी की रात को दस बच्चों का जन्म हुआ है। पूरे प्रोटोकाल के तहत इनकी निगरानी कराई जा रही है।