आर्थिक संकट से जूझ रहे पड़ोसी देश श्रीलंका में विरोध के बाद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने मंगलवार को आपातकाल हटाने की घोषणा कर दी। श्रीलंका की सरकार ने देश में बिगड़ते हालात को देखते हुए 1 अप्रैल को इमरजेंसी लगा दी थी लेकिन विपक्ष के साथ ही आम लोगों का भी भारी विरोध होने के बाद सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा और सरकार ने इमरजेंसी लगाने का फैसला वापस ले लिया है। राजधानी कोलंबो में भारी बारिश के बीच मंगलवार शाम को भी हजारों छात्रों ने प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के घर तक मार्च निकाला और सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और नारेबाजी की।
श्रीलंका में चीन के खिलाफ भारी गुस्सा
आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में चीन के खिलाफ गुस्सा लगातार बढ़ रहा है। श्रीलंकाई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि सरकार के पास पैसा नहीं है क्योंकि उसने चीन को सब कुछ बेच दिया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि चीन छोटे देशों को उधार देकर कर्ज के जाल में फंसा रहा है और अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर रहा है।
श्रीलंकाई सेना प्रदर्शनकारियों को दी चेतावनी
श्रीलंकाई सेना ने हिंसक प्रदर्शनकारियों को कड़ी कार्रवाई की चेतावनी देते हुए मंगलवार को कहा कि विरोध के नाम पर हिंसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। श्रीलंका के रक्षा सचिव, जनरल (सेवानिवृत्त) कमल गुणरत्ने ने लोगों से हिंसा से दूर रहने की अपील की। आर्थिक संकट के कारण देश में सुविधाएं गड़बड़ा गई है। देश में में 06 अप्रैल से 08 अप्रैल तक 6.5 घंटे तक की बिजली कटौती किए जाने को मंजूरी दे दी गई है। बिजली कटौती के कारण व्यापार व अन्य गतिविधियां प्रभावित हो रही है।
भारत ने की श्रीलंका की मदद
लोक उपयोगिता आयोग के अध्यक्ष जनक रत्नायके ने कहा है कि भारत से उधार लिए गए पैसे से ईंधन आयात करने के लिए विदेशी भंडार में कमी को अस्थायी रूप से कम किया गया है। विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसात्मक गतिविधियों में लिप्त करीब 54 लोगों को अभी तक गिरफ्तार किया गया है। पुलिस CCTV फुटेज के आधार पर प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर रही है।