राज्यपाल श्री पटेल ने परसवाड़ा कॉलेज में रानी दुर्गावती की प्रतिमा का अनावरण किया

0

रानी दुर्गावती महाविद्यालय परिसर परसवाड़ा में आयुष मेले कार्यक्रम की तारीफ करते हुए राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में इस तरह के मेलों का आयोजन ग्रामीण जनता के लिए उपयोगी साबित होगा। इस दौरान शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय जबलपुर के छात्रों द्वारा योगाभ्यास का प्रदर्शन किया गया वह काबिले तारीफ है। उन्होंने बताया कि 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विदेश दौरे पर उनके द्वारा इस दिवस का जिक्र किया गया। उन्होंने कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा दूरस्थ अंचलों में आदिवासी परिवारों को पक्के मकान, बिजली, उज्जवला, उजाला जैसी कल्याणकारी योजनाओं ने लोगों के जीवन स्तर को सुधारने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि देश का हृदय प्रदेश अपने में अपार वन संपदा समेटे हुए है और उनमें वन औषधियों की भरमार है।
अपने राजनीतिक जीवन के शुरूआत के दिनों को याद करते हुए राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि एक बच्चे को वे ईलाज के लिए चिकित्सक के पास ले गये थे, वह बच्चा सिकलसेल एनिमिया की बीमारी से ग्रसित था। उक्त बीमारी से बच्चे की जान चली गई, इस बात से व्यथित होकर उन्होंने सिकलसेल के मरीजों की पहचान कर उनके ईलाज का बीड़ा उठाया। उन्होंने कहा कि इस बीमारी से बचने के लिए विवाह के पूर्व सिकलसेल की जांच अवश्य कराना चाहिए, ताकि होने वाली संतान में यह बीमारी ना हो । उन्होंने बताया कि प्रदेश की 21 विश्वविद्यालयों को 5-5 गांव देकर यहां रहने वाले परिवारों की स्वास्थ्य जांच करने का कार्य सौंपा है। इसका उद्देश्य है कि ऐसे मरीजों की पहचान की जाकर उनका ईलाज करवाया जा सके। उन्होंने बताया कि वे हर कार्यक्रमों में इसकी विस्तार से चर्चा करते है। उन्होंने कहा कि कई असाध्य बीमारियों का ईलाज हमारे वनों की औषधियों में छुपा है।
कार्यक्रम स्थल पर आयुष विभाग द्वारा लगाई गये स्टाल एवं प्रदर्शनी का राज्यपाल श्री पटेल ने अवलोकन किया। यहां पर सिकलसेल बीमारी की पहचान, उसके उपचार एवं अन्य बीमारियों का आयुर्वेद एवं होम्योपैथी पद्धति से उपचार का प्रदर्शन किया गया। इस दौरान राज्यपाल श्री पटेल ने सिकलसेल एनिमिया से ग्रसित बच्चे ग्राम दलदला के विवेक पन्द्रे, मेंडकी की सलोनी गेरवे, पल्हेरा की वैशाली घरडे, छोटी सुरवाही के मनीष हिरवाने ने चर्चा कर उनका उत्साह बढ़ाया और कहा कि उनकी बीमारी का उपचार है। उन्होंने मौके पर मौजूद चिकित्सकों से कहा कि इन बच्चों का ध्यान रखें और उनसे नियमित रूप से योग एवं व्यायाम करने कहें। प्रदर्शनी में बालाघाट, कटनी, नरसिंहपुर, डिंडोरी, ग्वालियर एवं जबलपुर के आयुष औषधालयों द्वारा पंचकर्म उपचार विधि, ऋतु अनुसार आहार, वैद्य आपके द्वार, हर्बल गार्डन एवं वन औषधियों पर आधारित, कृषि विभाग द्वारा जैविक चिन्नौर एवं वन विभाग द्वारा बांस उत्पादों का प्रदर्शन किया गया।
इस अवसर पर राज्यमंत्री श्री रामकिशोर नानो कावरे ने बताया कि वर्ष 2012 में परसवाड़ा में महाविद्यालय का लोकार्पण किया गया था। आज राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल द्वारा महाविद्यालय परिसर में रानी दुर्गावती की मूर्ति का अनावरण किया गया है। उन्होंनें कहा कि राज्यपाल श्री पटेल की सोच है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को चिन्हित करें, जो सिकलसेल एनीमिया की बीमारी से ग्रसित है। इसके लिए आयुर्वेद जैसी प्राचीन स्वास्थ्य पद्धति में इस बीमारी को जड़ से खत्म करने की क्षमता है। इसके लिए आयुष मेले का आयोजन किया गया है। इन मेलों के माध्यम से आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में वनीय उत्पादों की मार्केटिंग कर लोगों को रोजगार उपलब्ध कराये जायेंगें। उन्होंने बताया कि बालाघाट जिले में इस तरह के मेले का आयोजन कर लगभग 50 हजार टेस्ट करवाये गये है। सिकलसेल से पीड़ित परिवारों को सरकार पेंशन की सुविधा प्रदान कर रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी कोरोना काल में आयुर्वेद की तारीफ की थी। आयुष विभाग के द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए त्रिकटू चूर्ण प्रदेश के 04 करोड़ लोगों में वितरित किया गया है। प्रदेश के सात महाविद्यालयों में शोध केन्द्र स्थापित कर अध्ययन किया गया, जिसमें आरोग्य कसायम काढ़ा को कोरोना से लड़ने में उपयोगी पाया गया।
आयुष मंत्री श्री कावरे ने कहा कि प्रदेश में 362 वेलनेस सेंटर बनाकर तैयार किये गये है। इस वर्ष 400 और वेलनेस सेंटर बनाये जायेंगें। इनमें 1500 लोगों को योग प्रशिक्षक बनाकर रोजगार देंगें। भारत सरकार की योजना के अंतर्गत प्रदेश में आयुष ग्राम बनाये जायेंगें और प्रत्येक परिवार के एक-एक सदस्य का सर्वे किया जायेगा। आयुष महाविद्यालय के डाक्टर घर-घर जाकर डाटा एकत्र करेंगें।


मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष एवं विधायक गौरीशंकर बिसेन ने इस अवसर पर कहा कि प्रदेश सरकार ने वन ग्रामों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिया है। जल-जंगल-जमीन हमारी संपत्ति है और इसको संरक्षित व व्यवस्थित रखने के लिए हमें जागरूक रहने की जरूरत है। हमें आज योग से निरोग की ओर बढ़ने के लिए कार्य करना चाहिए। राज्यपाल मंगुभाई पटेल स्वयं आदिवासी क्षेत्र से आते हैं और वे आदिवासी समाज के उत्थान के लिए सतत कार्य कर रहे है। प्रदेश सरकार कुपोषण मुक्त व्यवस्था के लक्ष्य को लेकर काम कर रही है। गरीब परिवारों को नि:शुल्क अनाज देने के साथ ही अब स्कूलों के बच्चों को मूंग प्रदान करने जा रहे है।
सांसद डॉ ढालसिंह बिसेन ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि राज्सपाल मंगुभाई पटेल द्वारा सिकलसेल एनीमिया को लेकर एक अभियान चलाया जा रहा है। हम लोग विकास की ओर बढ़ने के साथ ही भोगी बन गये, जिसके कारण हमें कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। इससे बचने के लिए हमें आयुर्वेद की ओर आना होगा और इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करना होगा। आयुर्वेद को नई शिक्षा नीति में भी जोड़ा गया है। आयुर्वेद दवाओं के निर्यात में से इस वर्ष 40 हजार करोड़ रुपये का व्यापार हुआ है। आयुर्वेद पद्धति से डाक्टर बनने वाले छात्रों को आयुर्वेद पद्धति से ही ईलाज करना चाहिए।
कार्यक्रम में राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने सिकलसेल एनीमिया के मरीज ज्ञानेन्द्र सिंह मरकाम, साक्षी उईके, सागर उईके, सावनी खेरतीकर, प्रतीक को पेंशन स्वीकृति के प्रमाण पत्र प्रदान किये। परसवाड़ा महाविद्यालय परिसर में लगी रानी दुर्गावती की प्रतिमा बनाने वाले क्षेत्रीय कलाकार सुनील मरावी का राज्यपाल श्री पटेल द्वारा सम्मान किया गया। इसके साथ ही आधुनिक पद्धति से सब्जियों की खेती करने वाले बिरसा विकासखंड के ग्राम चिचरूंगपुर एवं गुदमा के विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा के श्री समारूसिंह एवं श्री बजारी को भी सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में सिकलसेल एनीमिया के बारे में पराग सागर ने विस्तार से जानकारी दी और अपने द्वारा किये गये अध्ययन के परिणामों से बताया कि सिकलसेल की बीमारी से ग्रसित लड़के एवं लड़की को आपस में विवाह में नहीं करना चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here