प्रतिमा विसर्जन के लिए कुंड में रखी गई नाव हो गई कबाड़

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नगर पालिका परिषद बालाघाट के हालात बीते कुछ महीनों से इस तरह से बने हुए हैं कि आंख मूंदकर सारा काम कर रहे हैं भला हो शहर के जागरूक लोगों का जो मीडिया के माध्यम से लोगों का ध्यान आकर्षित करवाते हैं जिसके बाद नगरपालिका होश में आता है और कहता है जल्द से जल्द इस मामले पर कार्यवाही की जाएगी।

ऐसा ही एक मामला शहर के जागरूक जनों ने हमारे संज्ञान में लाया हमने इस मामले पर नगरपालिका से जानकारी ली तो नगरपालिका ने वही रटा रटाया जवाब दे दिया कि जल्द से जल्द कार्रवाई की जाएगी।

आपको बताया कि नगर के मोती तालाब के लिए नगर पालिका द्वारा जनता के टैक्स से पूर्व में नाव की खरीदी की गई थी। जहां नौका विहार के लिए खरीदी गई 6 में से महज 3 नावों का संचालन कुछ माह पूर्व से शुरू किया गया है। वहीं शेष बची 3 नाव कबाड़ में तब्दील होती नजर आ रही है।

जिसमें से 02 नाव अभी मोती तालाब गार्डन परिसर के पास रखी रखी कबाड़ हो रही है। तो वहीं एक नाव को वार्ड नंबर 24 स्थित सुरभि नगर में बनाए गए धोबी घाट में सड़ने के लिए छोड़ दिया गया है।

जिस पर नगर पालिका का कोई ध्यान नहीं है। बताया जा रहा है कि सुरभि नगर स्थित धोबी घाट में नाव पिछले 1 साल से पड़ी हुई है जो प़डे_पडे  ही कबाड़ में तब्दील हो रही है । मजे की बात तो यह है कि वह एक नाव कहा है,नाव धोबी घाट में क्यों पड़ी है ,कब से पड़ी है और वह वोटिंग के लाइट है या नहीं। इसकी जानकारी अब तक नपा प्रशासन द्वारा नहीं उठाई गई है जिसके चलते वहा नाव पिछले 1 साल से कीचड़ में फंसी हुई सड रही है। जिस पर नगर पालिका का कोई ध्यान नहीं है।

 आपको बताएं कि प्रतिवर्ष भगवान कृष्ण, गणेश और दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए शासन प्रशासन द्वारा विशेष कुंड की व्यवस्था की जाती है।ताकि लोग वैनगंगा नदी ,मोती तालाब या फिर अन्य जलाशयों में इन प्रतिमाओं का विसर्जन ना करें । जहा जल प्रदूषण को रोकने के लिए शासन प्रशासन द्वारा प्रतिवर्ष कृतिम कुंड बनाकर वहां प्रतिमाओं के विसर्जन का प्रबंध किया जाता है। वहीं सुरक्षा की दृष्टि से वोटिंग सहित अन्य इंतजाम किए जाते हैं। ताकि प्रतिमाओं के विसर्जन के दौरान कोई अप्रिय घटना ना घटे। इसी को ध्यान में रखते हुए जिला व नगर प्रशासन द्वारा पिछली बारिश के दौरान सुरभि नगर स्थित धोबी घाट परिसर में कृतिम विसर्जन कुंड बनाकर इन प्रतिमाओं के विसर्जन के इंतजाम किए गए थे। जहां भगवान गणेश के बाद दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन भी विधि विधान के साथ किया गया था।

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