दान के खून की कालाबाजारी:हमीदिया में खून बेचने का धंधा, एक यूनिट के ढाई हजार दो; तो डोनर भी जरूरी नहीं

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राजधानी का सबसे बड़ा अस्पताल हमीदिया। हर दिन यहां हजारों मरीजों का फ्री इलाज होता है। कई मरीज यहां ऐसे भी होते हैं, जिन्हें खून की जरूरत होती है। कुछ को फ्री तो कुछ को रियायती दर पर यहां खून दिए जाने की व्यवस्था है। इसके लिए बाकायदा एक ब्लड बैंक बना हुआ है, लेकिन इस पर अब दलालों का कब्जा हो गया है। इनका गठजोड़ इतना मजबूत है कि कोई भी मरीज बिना इन्हें पैसे दिए बिना यहां से खून नहीं ले जा पाता।

भास्कर रिपोर्टर मरीज का रिश्तेदार बनकर इन दलालों से मिला। कुछ देर लाचारी बताई तो बिना डोनर या एक्सचेंज के खून का इंतजाम हो गया। एजेंट ने एडवांस में 2500 रुपए लिए और 50 मिनट में एक यूनिट ब्लड मिल गया। हमीदिया में तीन गैंग सक्रिय हैं, जो खून की खरीद-फरोख्त कर रही हैं। निजी से लेकर सरकारी ब्लड बैंक तक इनके तार जुड़े हैं। जैसे ही सौदा तय होता है, मरीज के परिजन के पास खून पहुंच जाता है। भास्कर के पास हमीदिया में एजेंट से बातचीत, ब्लड सैंपल देने व लेने के ऑडियो-वीडियो मौजूद हैं।

ब्लड बैंक पर दलालों का कब्जा; डोनेट हुए ब्लड को बेचने वाले तीन गैंग सक्रिय

स्थान- हमीदिया- हाथ में पर्ची और सैंपल देखते ही घेर लेते हैं एजेंट

2300 रुपए से कम नहीं होगा; पैसा दो, खून ले लो

कैंसर पीड़ित मरीज के रिश्तेदार अशाेक कुमार ब्लड लेने पहुंचे तो दो एजेंटों ने उन्हें घेर लिया। एक उनसे कहता है कि कोई टेंशन नहीं, सरकारी काम है, हो जाएगा, लेकिन 2300 रु. से कम नहीं लूंगा। अशोक उनसे कहते हैं कि थोड़ा तो कम करो तो जवाब मिलता है- नहीं भाई, 1050 तो जांच की फीस लगती है। हम ही जानते हैं, किसको देना है। आपको कुछ नहीं करना। बस पर्ची और पैसे दे दो। खून मिल जाएगा।

डरो नहीं, ये तो ब्लड बैंक वाला है, इसे ढाई हजार रुपए दे दो

अस्पताल के अंदर सैंपल लिए खड़े एक मरीज के रिश्तेदार को एजेंट कहता है- ‘वहां दो लोग बैठे हैं, उनसे बात कर लो।’ उनमें से एक युवक उन्हें गेट पर जाने को कहता है। कुछ देर बाद मुंह पर कपड़ा ढंके एक व्यक्ति वहां पहुंचता है। रिश्तेदार घबराता है तो एजेंट कहता है- अरे, डरो नहीं, ये ब्लड बैंक वाला है। इसे ढाई हजार रुपए दे दो, ब्लड मिल जाएगा।

राजभवन के पास आ जाओ, मेरा आदमी वहीं खड़ा है

फोन पर एजेंट- ‘पर्ची और सैंपल लेकर आ जाओ। मेरा आदमी राजभवन के पास मिल जाएगा।’ रिपोर्टर वहां पहुंचकर उसे पर्ची और सैंपल देता है। एजेंट कहता है- ‘ढाई हजार रुपए लगेंगे।’ रिपोर्टर यह पैसे ऑनलाइन ट्रांसफर कर देता है। 50 मिनट बाद एक युवक ब्लड का एक पैकेट लेकर वहां पहुंचता है और कहता है कि ये ले लो, लेकिन वापस नहीं लिया जाएगा।

1050 रु फीस है, इससे ज्यादा नहीं ले सकते

सरकारी अस्पताल में मरीज को बिना जांच शुल्क के खून मिलता है। सिर्फ डोनर चाहिए। 1050 रु. फीस तय की है, इससे ज्यादा नहीं ले सकते।

-मोनल सिंह, सहायक संचालक, रक्त सुरक्षा कार्यक्रम

ब्लड बैंक की मिलीभगत है तो कार्रवाई करेंगे

लोग खून की जरूरत पर एजेंट के झांसे में नहीं आएं। सीधे ब्लड बैंक में संपर्क करें। ब्लड बैंक कर्मचारी यदि एजेंट से मिला है तो एक्शन लेंगे।

– यूएम शर्मा, हमीदिया ब्लड बैंक प्रभारी

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