4 लाख करोड़ तक पहुंचा बाजार:दुनिया की सभी बड़ी ऑटो कंपनियां भारत में खोल रहीं रिसर्च सेंटर

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देश का ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग, रिसर्च एंड डेवलपमेंट (ईआरएंडडी) मार्केट करीब 4 लाख करोड़ तक पहुंच गया है। ग्लोबल रिसर्च फर्म टैपलो ग्रुप के मुताबिक, 2016 में भारत का ईआरएंडी मार्केट 1.85 लाख करोड़ का था, जो 2021 में 3.4 लाख करोड़ का हो गया। 2022 में इसके 12.67% की ग्रोथ के साथ 3.9 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है।

असल में दुनिया की करीब हर बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी और ऑटो टेक्नोलॉजी सर्विस प्रोवाइडर ने भारत में रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) सेंटर खोल रखा है। मर्सिडीज बेंज, बॉश, डेमलर, हरमन, फोर्ड मोटर्स, जैसी सैकड़ों कंपनियां इनमें शामिल हैं। इन्होंने हजारों करोड़ का निवेश भारत में आरएंडडी पर किया है, जहां एक लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं।

आरएंडडी में भारतीयों की मांग इसलिए
क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस के डायरेक्टर हेमल ठक्कर के मुताबिक, ईवी में हल्की एल्युमिनियम फोर्जिंग की जरूरत होती है। इसके लिए दुनियाभर की कंपनियां भारत का रुख कर रही हैं। ईवी फाइनेंस कंपनी ओटो के सीईओ सुमित छाजेड़ ने बताया कि बीते साल के मुकाबले इस साल भारत में आरएंडडी निवेश 150% से ज्यादा बढ़ा है।

ऑटोनॉमस कार बनाने में जुटे 8.5 लाख भारतीय इंजीनियर
ऑटोनॉमस कार बनाने में 1 करोड़ से ज्यादा सॉफ्टवेयर इंजीनियर लगे हुए हैं। 2030 तक इनकी संख्या 1.4 करोड़ तक पहुंच सकती है। करीब 30 लाख इजीनियरों में 15-20 लाख भारतीय होंगे। अभी के 1.1 करोड़ में से करीब 8.5 लाख इंजीनियर भारत के हैं।

ड्राइवरलेस कारों के कोड का 35% भारतीय तैयार कर रहे
ड्राइवरलेस कारों के 10 करोड़ लाइनों के कोड का करीब 35% हिस्सा भारतीय इंजीनियर तैयार कर रहे हैं। नैसकॉम की इंजीनियरिंग और आरएंडडी काउंसिल प्रमुख कार्तिकेयन नटराजन के मुताबिक, ग्लोबल ऑटो कंपनियों के 50-55 हजार इंजीनियर पहले ही भारत में काम कर रहे हैं। ओरिजनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स में 25,000 इंजीनियर काम कर रहे हैं। इन कंपनियों के सर्विस प्रोवाइडर्स ने भी 40,000 सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को सिर्फ ऑटोमोटिव सॉफ्टवेयर के लिए हायर किया है।

भारत में कुशल और किफायती टैलेंट
फाडा के प्रेसिडेंट मनीष राज सिंघानिया ने कहा, “टॉप एंड-ऑटोमेकर्स भारत का रुख कर रहे हैं। उन्हें मालूम है कि दुनिया के सबसे किफायती टैलेंटेड और सबसे कुशल इंजीनियर यहां मिलेंगे। इसके अलावा कुछ वर्षों से सरकार ने भी आरएंडडी सेक्टर पर ध्यान देना शुरू किया और अनुकूल नीतियां बनाई हैं।”

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