कोरोना संक्रमण के कारण विगत २ वर्षाें से मुख्यमंत्री कन्यादान सामुहिक विवाह/निकाह सम्मेलन नहीं हो पाये है जिसके चलते गरीब परिवार अपनी आर्थिक तंगी के कारण अपनी बेटियों के विवाह नहीं कर पा रहे है तो वहीं कुछ परिवार ने इधर उधर से कर्ज लेकर अपनी बेटी के हाथ पीले कर दिये। वर्तमान में अब नये वैवाहिक रिश्ते जुडऩा प्रारंभ हो चुके है परंतु गरीब वर्ग जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है वह अब भी मुख्यमंत्री कन्यादान सामुहिक विवाह/निकाह सम्मेलन की उम्मीद लगाये बैठा है कि कब सामुहिक विवाह/निकाह की तारीख आये और वे अपना पंजीयन करवाकर महंगाई के इस दौर में खर्चीली शादी से बचकर शासन की योजना का लाभ ले सके परंतु शासन की ओर से अभी तक किसी भी तरह की सामुहिक विवाह की संभावित तारीख घोषित नहीं की गई है जिसके आधार पर गरीब परिवार अपनी बेटियों के विवाह की तारीख निकाल सके। शासन प्रशासन को समय को देखते हुए संभावित सामुहिक विवाह की तारीख घोषित कर प्रचार प्रसार प्रारंभ कर दिया जाना चाहिये था जिससे गरीब परिवार इस योजना से लाभाविंत हो सके।
एकल विवाह पर नहीं मिलेगा मुख्यमंत्री कन्यादान योजना का लाभ
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना का लाभ पूर्व में एकल विवाह पर भी शासन के द्वारा दिया जाता था जिसके लिये हितग्राही का श्रमिक कार्ड व बीपीएल कार्ड होना आवश्यक था जो विवाह के उपरांत मुख्यमंत्री कन्यादान विवाह/निकाह सहायता का लाभ लेते थे जिसमें हितग्राही के खाते में ५१००० रूपये की राशि आती थी परंतु वर्तमान में शासन के द्वारा इस योजना के नियमों में बदलाव कर दिये गये है। अब मुख्यमंत्री कन्यादान विवाह सहायता योजना का लाभ केवल उन्हीं हितग्राहियों को दिया जायेगा जो अपनी बेटी का विवाह मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत आयोजित सामुहिक विवाह सम्मेलन में करवायेगें। इस तरह शासन के द्वारा अब एकल विवाह करने पर हितग्राही को मुख्यमंत्री कन्यादान विवाह सहायता का लाभ नहीं मिल पायेगा।
सामुहिक विवाह से गरीब परिवारों को मिलता है लाभ
शासन के द्वारा आयोजित किये जाने वाले मुख्यमंत्री कन्यादान विवाह/निकाह सम्मेलन का सहीं मायने में लाभ उन गरीब परिवारों को मिलता है जो अपनी आर्थिक तंगी के चलते अपनी वयस्क लड़कियों के हाथ पीले नहीं कर पाते है जिससे उनकी ब’िचयों की उम्र भी बढ़ते जाती है जिसके कारण अभिभावक मानसिक रूप से प्रताडि़त रहते है उनके लिए यह सामुहिक विवाह सम्मेलन एक तरह से वरदान साबित हुआ है परंतु कोरोना काल के बाद से ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो मुख्यमंत्री कन्यादान सामुहिक विवाह/निकाह सम्मेलन को जैसे ग्रहण सा लग गया हो।
५१ हजार से बढ़ाकर ५५००० हुई सहायता राशि
मुख्यमंत्री कन्यादान विवाह/निकाह सम्मेलन में विवाह करने पर पूर्व में ५१००० रूपये राशि हितग्राही के खाते में आती थी परन्तु वर्तमान में शासन के द्वारा नियमों में संसोधन कर दिया गया है जिसके तहत अब ५५००० रूपये विवाह में खर्च किये जायेगें जिसमें ११ हजार रूपये की राशि बेटियों को प्रदान की जायेगी, ६ हजार रूपये आयोजनकर्ता को दिया जायेगा वहीं ३८ हजार रूपये की विवाह सामग्री बेटियों को उपहार स्वरूप भेंट की जायेगी।
गरीबी-अमीरी का हटा बंधन
इस योजना के तहत अब गरीबी-अमीरी का बंधन हट चुका है इसमें अब सभी धर्म, वर्ग, जाति के लोग शामिल होने की पात्रता रखेगें जिसमें शासन के द्वारा एक ही शर्त रखी गई है बेटी व पिता म.प्र. के मूल निवासी होना चाहिए एवं हितग्राही आयकर दाता की श्रेणी में न आता हो तभी उसे मुख्यमंत्री कन्यादान विवाह/निकाह सम्मेलन में विवाह करने पर इस योजना का लाभ मिल सकता है।
चर्चा में प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी गायत्रीकुमार सारथी ने बताया कि शासन की मुख्यमंत्री कन्यादान विवाह/निकाह योजना के तहत सामूहिक विवाह होना है जिसकी संभावित तिथि मार्च व अप्रैल में दे रहे है जिसके लिए जनप्रतिनिधियों व विधायक महोदय से चर्चा कर रहे है ताकि सामूहिक विवाह के लिए तिथि निर्धारित की जाये और तिथि निर्धारित होने के बाद प्रचार-प्रसार के माध्यम से क्षेत्रीयजनों को अवगत करवाया जायेगा साथ ही यह भी बताया कि मार्च व अप्रैल की द्वितीय सप्ताह में सामूहिक विवाह संपन्न करवाने की सोच रहे है एवं निश्चित रूप से इस वर्ष सामूहिक विवाह होगें और पहले श्रमिक कार्ड के माध्यम से एकल विवाह करने पर भी योजना का लाभ मिल जाता था परन्तु शासन के द्वारा नियमों में संसोधन कर दिया गया है जिसके तहत अब सामूहिक विवाह सम्मेलन में विवाह करने पर ही मुख्यमंत्री कन्यादान विवाह/निकाह योजना का लाभ मिल पायेगा।