सूर्य आराधना का प्रमुख पर्व मकर संक्रांत शनिवार 14 जनवरी को जिला मुख्यालय सहित अन्य ग्रामीण अंचलों में पूर्ण विधि-विधान व धार्मिक अनुष्ठान के साथ मनाया जाएगा।जहा हिंदू धर्मावलंबियों के इस प्रमुख पर्व में प्रतिवर्ष के अनुसार इस वर्ष भी हिंदू धर्मावलंबियों द्वारा जिले के विभिन्न जलाशयों, दार्शनिक स्थलों व मन्दिरो में जाकर भगवान सूर्य, शनि ,भगवान गणेश औऱ भगवान शंकर की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। वहीं विभिन्न दार्शनिक स्थलों में जगह-जगह पिकनिक पार्टी सहित अन्य आयोजन होंगे। जिसको लेकर तैयारियां लगभग पूर्ण हो गई है। यह मकर संक्रांति के इस पर्व विशेष को लेकर शुक्रवार को पतंग बाजार सहित स्थानीय बाजार गुलजार नजर आया जहां इस पर्व विशेष पर ज्यादा लोगों को मकर संक्रांति की देर शाम तक खरीदारी करते हुए देखा गया।
उड़ेंगी पतंगे नदी घाटों में लगेगी आस्था की डुबकी
प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी जिला मुख्यालय सहित अन्य तहसील व ग्रामीण अंचलों में मकर संक्राति पर्व आज शनिवार को आस्था पूर्वक मनाया जाएगा। जिसके चलते जिले के पिकनिक स्पॉट पर मेला जैसा महौल रहेगा। शहर के वाटनिकल उद्यान, जागपुरघाट, बजरंगघाट, गांगगुलपारा, ढुटी डेम सहित अन्य स्थानों पर बड़ी संख्या में लोग पिकनिक मनाने पहुंचेंगे। वहीं इस दिन तिल स्नान का भी महत्व है। इस कारण नदी घाटों में आस्था की डुबकी लगाकर तिल गुड़ का सेवन किया जाएगा।तो वही वर्षों पुरानी परंपरा को निभाते हुए इस वर्ष भी जगह-जगह पतंगबाजी देखने को मिलेंगी। शास्त्रों के अनुसार दक्षिणायण को देवताओं की रात्रि अर्थात् नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात् सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढकऱ पुन: प्राप्त होता है। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है।
मकर संक्रान्ति को लेकर नहीं है कन्फ्यूजन
इस बार मकर सक्रांति खास संयोग में आ रहा है। इस पर अच्छी बात यह भी है कि इस साल मकर संक्रांति की तिथि को लेकर किसी तरह का कन्फ्यूजन भी नहीं है। इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही पूरे देश में मनाई जाएगी। इसी दिन पोंगल, बिहू और उत्तरायण पर्व भी मनाया जाएगा।
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्यो के अनुसार मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाए जाने की वजह यह है कि इस साल ग्रहों के राजा सूर्य का मकर राशि में आगमन शनिवार 14 जनवरी को हो रहा है। शनिवार को संक्रांति होने की वजह से यह नंदा और नक्षत्रानुसार महोदरी संक्रांति मानी जाएगी जो ब्राह्मणों, शिक्षकों, लेखकों, छात्रों के लिए लाभप्रद और शुभ रहेगी। शास्त्रों का मत है कि संक्रांति के 6 घंटे 24 मिनट पहले से पुण्य काल का आरंभ हो जात है। इसलिए इस वर्ष ब्रह्म मुहूर्त से सक्रांति का स्नान दान पुण्य किया जा सकेगा। इस दिन दोपहर 2 बजकर 38 मिनट तक का समय संक्रांति से संबंधित धार्मिक कार्यों के लिए उत्तम रहेगा। वैसे पूरे दिन भी स्नान दान किया जा सकता है।
पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है_ प्रो. अरविंद चंद तिवारी
मकर संक्रांति पर्व को लेकर दूरभाष पर की गई चर्चा के दौरान ज्योतिषाचार्य प्रो. अरविंद चंद तिवारी ने बताया कि भविष्यपुराण के अनुसार सूर्य के उत्तरायण के दिन संक्रांति व्रत करना चाहिए। पानी में तिल मिलाकार स्नान करना चाहिए। अगर संभव हो तो गंगा स्नान करना चाहिए। इस तीर्थ स्थान या पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व अधिक है। इसके बाद भगवान सूर्यदेव की पंचोपचार विधि से पूजा-अर्चना करनी चाहिए इसके बाद यथा सामथ्र्य गंगा घाट अथवा घर में ही पूर्वाभिमुख होकर यथा सामथ्र्य गायत्री मन्त्र अथवा सूर्य के मंत्रों का अधिक से अधिक जाप करना चाहिए। पूजा-अर्चना में भगवान को भी तिल और गुड़ से बने सामग्रियों का भोग लगाएं। इसके बाद ज्यादा से ज्यादा भोग प्रसाद बांटे। इसके घर में बनाए या बाजार में उपलब्ध तिल के बनाए सामग्रियों का सेवन करें। इस पुण्य कार्य के दौरान किसी से भी कड़वे बोलना अच्छा नहीं माना गया है। मकर संक्रांति पर अपने पितरों का ध्यान और उन्हें तर्पण जरूर देना चाहिए।