जेम्स-ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमो. काउंसिल (GJEPC) के चेयरमैन विपुल शाह का मानना है कि बजट-2023 में जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर के हित में कई घोषणाएं की जा सकती हैं। गोल्ड, सिल्वर और प्लेटिनम पर अभी आयात शुल्क की दर ऊंची है। इसके चलते तस्करी बढ़ रही है। निर्यातकों की 500 करोड़ रुपए से ज्यादा की वर्किंग कैपिटल भी फंस जाती है।
सरकार आयात शुल्क घटाकर 4% करे तो काफी फायदा
विपुल के मुताबिक, सरकार अगर आयात शुल्क घटाकर 4% कर देती है तो काफी फायदा होगा। निर्यातक आधी से ज्यादा कार्यशील पूंजी इस्तेमाल कर पाएंगे। इसके अलावा हमें उम्मीद है कि सरकार स्पेशल नोटिफाइड जोन (SNZ) के माध्यम से रफ डायमंड बेचने की अनुमति देगी।
इससे भारतीय एसएमई सीधे इंटरनेशनल माइनिंग कंपनियों के साथ डील कर सकेंगे। बिचौलियों की भूमिका नहीं रह जाएगी और दुनियाभर में सप्लाई होने वाले रफ डायमंड का कम से कम 20% भारत के एसएनजेड पर शिफ्ट हो सकता है। इससे सरकार को सालाना 28-30 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय भी हो सकती है। GJEPC को उम्मीद है कि सरकार डायमंड इम्प्रेस्ट लाइसेंस फिर शुरू करेगी। इससे डायमंड निर्यातकों को अफ्रीकी माइनिंग कंपनियों की लाभकारी नीतियों का फायदा मिलेगा।
LGD सीड पर आयात शुल्क की छूट मिले
2025 तक ग्लोबल जेम्स-ज्वेलरी निर्यात में लैब ग्रोन डायमंड की हिस्सेदारी 10% से ज्यादा होने का अनुमान है। भारत को इसका फायदा मिल सकता है। हमने सरकार से अपील की है कि लैब ग्रोन डायमंड (LGD) में इस्तेमाल होने वाली सीड पर आयात शुल्क शून्य किया जाए। इससे नैचुरल डायमंड प्रोसेसिंग की तरह भारत लैब में बने हीरों में भी अग्रणी बन सकता है।
मणिपाल ग्लोबल एड. के चेयरमैन टीवी मोहनदास पई को बजट-2023 से काफी उम्मीदें हैं। उनका मानना है कि सरकार बजट में कुछ बोल्ड कदम उठा सकती है। पुराने मुद्दों और विवादों के समाधान पर फोकस के आसार हैं। लगातार बढ़ रही महंगाई के बावजूद बीते कुछ सालों से मिडिल क्लास को खास टैक्स रिलीफ नहीं मिला है। उन्हें उम्मीद है कि इस बजट में सरकार टैक्स स्लैब में बढ़ोतरी करेगी।