NavIC Vs GPS: जल्द होगी Google Location की विदाई, इसरो ने लॉन्च किया NavIC, जानें खूबियां

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अब से कुछ देर पहले अपना NVS-01 नेविगेशन (NavIC) सैटेलाइट लॉन्च कर दिया। यह लोकेशन ट्रेस करने के लिए भारत द्वारा भेजे गए NavIC सीरीज के नेविगेशन का एक पार्ट है। 2,232 किलोग्राम के GSLV उपग्रह ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी। यहां जानें भारत के क्यों अहम है NavIC और इसके क्या प्रमुख सुविधाएं उपलब्ध होगी और यह कैसे अभी तक फ्री मिल रही गूगल लोकेशन सर्विस से अलग है –

जानें क्या है NavIC और भारत के लिए क्यों है खास

फिलहाल हम एक स्थान से दूसरी जगह जाने के लिए Google मैप या Apple मैप का उपयोग करते हैं, लेकिन ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) कही जाने वाली ये सेवा फिलहाल अमेरिका द्वारा धरती के ऑर्बिट में छोड़े गए उपग्रहों के कारण फ्री में उपलब्ध होती है, लेकिन NavIC सीरिज के सैटेलाइट लॉन्च होने के बाद भारत की खुद की जीपीएस सेवा होगी और हमें अमेरिकी उपग्रहों पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा।

पड़ोसी देशों को भी मदद करेगा भारत

NavIC इसरो द्वारा विकसित एक क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली है, जो धरती की कक्षा में 7 उपग्रहों का एक ग्रुप है। NavIC का नेविगेशन सिस्टम इतना मजबूत है कि यह पूरे भारत के अलावा आसपास के 1500 किमी क्षेत्र में सटीक लोकेशन बताएगा। इतने विशाल क्षेत्र में कवरेज के कारण भारत अपने पड़ोसी देशों को भी इस सेटेलाइट के जरिए सटीक लोकेशन उपलब्ध कराने में मदद करेगा।

इन देशों के पास है खुद के नेविगेशन सिस्टम

ग्लोबल पोजिशनिंग सेटेलाइट के मामले में भारत ने भले ही देरी कर दी हो, लेकिन पूरी तैयारी के साथ और बेहतर टेक्नॉलॉजी के साथ आया है। गौरतलब है कि भारत के अलावा फिलहाल अमेरिका, रूस, यूरोप और चीन के पास ही अपने खुद के लोकेशन ट्रेस करने वाले सेटेलाइट है। अभी तक भारत अमेरिकी GPS की सहायता ले रहा है। वहीं रूस के पास अपना GLONASS नेविगेशन सिस्टम है और चीन के पास BeiDou है, जो भारत की तरह ही एक क्षेत्रीय नेविगेशन प्रणाली है। यूरोप में Galileo नेविगेशन सिस्टम काम करता है।

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