आज भी सर्वशिक्षा अभियान के तहत शासकीय स्कूलों की दशा सुधारने में शासन लगा हुआ है मगर यथार्थ के धराताल पर इसके परीणाम शून्य नजर आ रहे है। जिसके परिणाम यह है कि आगामी २० जून से स्कूल प्रारंभ हो रहा है मगर स्कूल में पानी व्यवस्था नही है। ऐसा नही है कि स्कूल ने इस बाबद बीआरसी नगर पालिका को सूचित न किया हो मगर परिणाम शून्य ही नजर आ रहे है। जिसकी वजह से जब स्कूल प्रारंभ हो जायेंगे तो इन्हे आधा किलोमीटर दूर से पानी लाकर खाना बनाते हुये इसी मीठे पानी से विद्यार्थियों की प्यास बुझाने पड़ेगी। हम बात कर रहे है पूर्व नवीन प्राथमिक माध्यमिक शाला की जहां जो स्वसहायता समूह मध्यान्ह भोजन बनाने का कार्य करती है। उसे खाना बनाने व बच्चो को स्वच्छ पानी पिलाने के लिये नगर की ही मुख्य टंकी के नीचे लगे नल से पानी लाना पड़ रहा है। स्कूल परिसर के अंदर लगा हेडपंप जंगरोधक पानी उगल रहा है जिसका उपयोग स्वसहायता समूह की महिलाऐं द्वारा बर्तन धोने व बर्तन मांजने के लिये किया जा रहा है।
३ स्कूल के विलय से बना है नवीन माध्यमिक शाला
यहां यह बताना लाजमी है कि इस स्कूल को मर्ज कर एक परिसर एक भवन के नाम से जाना जाता है। इस स्कूल में तीन स्कूल का विलय किया गया है यह शासन की योजना के तहत हुआ है। मगर इस पूर्व नवीन प्राथमिक माध्यमिक विद्यालय में छात्र छात्राओं के लिये शुध्द पानी पीने की व्यवस्था नही है। अगर स्वसहायता समूह मीठे व शुध्द पानी की व्यवस्था न बनाये तो बच्चे दूषित पानी पीकर बीमार तक हो सकते है।
फोटो सुधा
पानी की किल्लत से जूझ रहे हम – सुधा बुरड़े
इस संबंध में स्वसहायता समूह की संचालिका सुधा बुरड़े ने पद़मेश को बताया कि वे नवीन माध्यमिक शाला में भोजन बनाने का कार्य करती है। मगर हम पानी की समस्या से जूझ रहे है। हमारे परिसर में जरूर जो हेडपंप लगा है। उसका पानी पीने योग्य नही है। ऐसी स्थिति में हम लोग बाहर से पानी लाकर खाना बनाते है और उसी पानी से बच्चो की प्यास बुझाते है। आगामी २० जून से स्कूल खुल जायेंगे। ऐसे में प्रवेश उत्सव का कार्यक्रम भी होगा। जिसमें हमे विशेष भोजन बनाने का आदेश दिया गया है। मगर वर्तमान समय में जो हेडपंप है उससे खारा व जंगनुमा पानी निकल रहा है। जिसकी हमने पूर्व समय में भी नपा व बीआरसी विभाग को शिकायत की है। मगर हमारी समस्या का कोई हल नही निकला है।
मध्यान्ह भोजन बनाने आधा किलोमीटर दूर से लाना पड़ रहा पानी – रेखा सोनकुसरे
वही उनकी सहायिका श्रीमती रेखा सोनकुसरे ने पद्मेश को बताया कि स्कूल में मध्यान्ह भोजन बनाने के लिये हमे आधा किलोमीटर दूर चलकर नगर पालिका की टंकी के नीचे जो नल लगे है उनसे पानी लाना पड़ रहा है। यह समस्या बीते कुछ माह से ही उपजी है। हम जो पानी लेकर आते है उससे ही खाना बनाते है और बच्चो को भी वही पानी पिलाते है। जो हेडपंप है उसका पानी हम बर्तन धोने में इस्तेमाल करते है। हम लोग करीब आधा सैकड़ा बच्चो का भोजन बनाते है। कई मर्तबा बच्चे भी बढ़ जाते है। मगर हम खाने में किसी प्रकार की कोई कोताही नही बरतते। हमे पता है कि २० जून से स्कूल खुल रहे है ऐसे में हम रसाई घर व उसके आसपास खरपतवार की सफाई कर रहे है। हम लोगो ने पानी की समस्या को लेकर संबंधित अधिकारियों को सूचित कर दिया है। इसके पूर्व भी हमारे द्वारा इस संबंध में नपा व बीआरसी कार्यालय को सूचित कर दिया गया है।
इनका कहना है –
पद्मेश से दूरभाष पर चर्चा करते हुये दीपिका उईके बताया कि २० जून से शासकीय स्कूल प्रारंभ हो रहे है। जिलाधीश बढ़ती गर्मी को देखते हुये अगर आगे तिथी बढ़ा दे तो हम कुछ नही कह सकते। वर्तमान समय में स्कूल की साफ सफाई चल रही है वही २० जून को प्रवेशोत्सव कार्यक्रम भव्य तरीके से मनाया जायेगा। रही बात पानी समस्या की तो हमने इसकी शिकायत नगर पालिका, पीएचई व बाआरसी विभाग को पूर्व में कर दी है।
श्रीमती दीपिका उईके
प्रधान पाठिका नवीन माध्यमिक शाला वारासिवनी नगर
शासन प्रशासन को देना चाहिये ध्यान
गौर करने वाली बात है कि वारासिवनी जनपद पंचायत अंर्तगत आने वाले अधिकांशता शासकीय स्कूल में पीने के पानी की व्यवस्था नही है। जिसकी वजह से इन स्कूलों में खाना वनाने वाले स्वसहायता समूह को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में शासन प्रशासन को इस और गंभीरता से ध्यान देना चाहिये ताकि नौनिहालों को शुध्द पानी पीने के साथ ही उन्हे जो भोजन बन रहा है वो भी शुध्द मीठे पानी से बना प्राप्त हो।
डीपीसी से बोलकर उचित हल निकलवाया जायेगा – डीईओ
इस मामले में जब दूरभाष पर जिला शिक्षाधिकारी अश्विनी उपाध्याय से चर्चा की गई तो उन्होने बताया कि अगर पानी की समस्या है तो यह डीपीसी अधिकारी के अंर्तगत आता है। अगर ऐसी समस्या वारासिवनी के स्कूल में है तो उन्हे दिखवाकर उसका उचित हल निकाला जायेगा।