जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी भगवान गणेश के विसर्जन का सिलसिला दूसरे दिन शुक्रवार को भी जारी रहा। जहां समितियां द्वारा स्थापित प्रतिमाओं को झांकी की तरह से जाकर जुलूस के रूप में निकल गया तो वही युवाओं की टोली बंद बजे और डीजे पर बज रहे धार्मिक गानों की धुन पर थीरकते नजर आए और नगर पालिका के द्वारा बनाया गया विसर्जन स्थल पर विधि विधान के साथ श्रद्धालुओं के द्वारा विसर्जन किया गया। दस दिवसीय गणेशोत्सव में प्रथम पूज्य भगवान गणेश की आराधना और उपासना के बाद अनंत चतुर्देशी से भगवान गणेश को विदाई देने का क्रम निरंतर जारी है। 29 सितंबर को भी शहर के सार्वजनिक स्थानों और घरो में विराजित की गई भगवान गणेश की प्रतिमाओं को भक्तो ने धूमधाम से विदाई दी। गणेशोत्सव के समापन से भव्य तरीके से श्रद्धापूर्वक अगले बरस जल्दी आने की कामना करते हुए भक्तों ने वैनगंगा नदी में भगवान गणेश की प्रतिमाओं का विसर्जन किया। आपको बता दे कि जिले में अनंत चतुर्देशी के दिन से ही भगवान गणेशोत्सव के समापन पर विराजित भगवान की गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन का सिलसिला प्रारंभ हो गया था। सुबह से ही भक्तों ने शहर में नपा द्वारा बनाये गये विसर्जन कुंड और बहती जलधारा में भगवान गणेश की प्रतिमाओं को विसर्जित कर अगले बरस जल्दी आने की कामना से भगवान गणेश को विदाई दी। नगर पालिका द्वारा शहर के अलग-अलग स्थानों में गणेश जी प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए व्यापक व्यवस्था की गई है। शहर में गणेश जी की प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए छह स्थान चिन्हित किए गए हैं, जहां नगर पालिका अमला मुस्तैद है।
स्वच्छता का रखा विशेष ध्यान
विसर्जन के दौरान तालाबों और नगर पालिका द्वारा बनाए गए विसर्जन स्थल में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा गया। पीओपी की मूर्तियों को तालाब में विसर्जित करने की बजाय उनका जलाभिषेक घाट पर ही एकत्रित कर लिया गया। इन मूर्तियों को अब विशेष तरीके से नष्ट किया जाएगा। वहीं घाटों पर गंदगी ना हो इसके लिए भी नगर पालिका के कर्मचारी नियुक्त किए गए थे।
इन कर्मचारियों का रहा विशेष सहयोग
गणेश चतुर्थी के समापन अवसर पर नगर पालिका के सफाई कर्मचारी और जलप्रदाय शाखा के कर्मचारी के द्वारा विसर्जन स्थलों में ड्यूटी लगाई गई थी जिनके द्वारा स्थलों पर साफ सफाई और मूर्ति विसर्जित करने का कार्य किया गया जिसमें किशोर दूधबुरे, जलप्रदाय शाखा प्रभारी भुवनेश्वर शिव, श्रीराम दूधबुरे, उमाशंकर दूधबुरे, विनोद बावन ऊके, अनिल सहारे, रामप्रसाद दूध बुरे आसाराम बिसेन सहित अन्य कर्मचारियों का विशेष सहयोग रहा।