मेनू चार्ट के अनुसार मांगा जाता है कमीशन?

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शनिवार को हनुमान चौक स्थित विपणन संघ कार्यालय पहुंचे कुछ राइस मिलर्स ने विपणन संघ अधिकारी और लेखपाल पर हर काम के लिए कमीशन मांगने का आरोप लगाया है। जहां उन्होंने आरोह काटने, धान का परिवहन करने सहित मिलर्स से संबंधित कार्यों के लिए मेनू चार्ट के हिसाब से कमीशन मांगे जाने की बात कहते हुए इस पूरे मामले की शिकायत भारत सरकार के खाद्यय विभाग सचिव को पत्र प्रेषित कर की है। इसके अलावा अन्य स्थानीय अधिकारियों को भी इनकी शिकायत देने की बात कही जा रही है।राइस मिलर्स का आरोप है कि इस कार्यालय में पदस्थ विपणन अधिकारी और लेखापाल चार्ट के अनुसार जिले के राईस मिलर्स से कमीशन की मांग करते है और जो उनके कमीशन की पूर्ति नहीं करता है, उसके काम में रोड़ा अटकाया जाता है। जो वर्तमान में विपणन कार्यालय में हमारे साथ हो रहा है, मिलिंग के अनुबंध के बावजूद हमें धान नही दी जा रही है। जिससे मिलो के मजदूर खाली बैठे और बिजली खपत का भार पड़ रहा है। उधर इस पूरे मामले पर विवरण अधिकारी ने मिलर्स द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन किया है ।जिसमें उन्होंने मिलर्स द्वारा लगाए गए सभी आरोपो को झूठा व बे- बुनियाद बताया है ।बहरहाल इस मामले में भारत सरकार खाद्य विभाग सचिव सहित अन्य अधिकारियों को की गई शिकायत पर क्या एक्शन लिया जाता है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

इधर लगे आरोप तो उधर मामले में सफाई का पत्र व्हाट्सएप पर वायरल
राइस मिलर्स द्वारा विपणन अधिकारी और लेखपाल पर कमीशन के आरोप लगाने के तुरंत बाद ही व्हाट्सएप पर जिला राइस मिलर्स एसोसिएशन का एक पत्र जमकर वायरल हो रहा है बिना अध्यक्ष के नाम से वायरल हो रहे इस पत्र में चावल की रिकवरी की बात कहकर यह बताने का प्रयास किया गया है कि कुछ मिलर्स अधिकारियों के खिलाफ झूठी शिकायत कर रहे हैं ।लेकिन इसमें कहीं भी वितरण का जिक्र नहीं है बल्कि नान के मामले का जिक्र किया गया है। गौर करने की बात तो यहां है कि जिला राइस मिलर्स एसोसिएशन के नाम से वायरल हो रहा यह पत्र में इस पत्र में कहीं पर भी अध्यक्ष के नाम का उल्लेख नहीं है जिसको लेकर भी तरह-तरह की चर्चाए आम हो रही है।

जिसने कमीशन दिया, सिर्फ उसका काम होता है यहां-
इस पूरे मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान राइस मिलर्स राकेश अग्रवाल और सतीश छुटवानी ने बताया कि जिले में इतनी राईस मिलर्स ने मिलिंग के लिए अनुबंध किया है कि जिले की संपूर्ण धान की वह मिलिंग कर सकते है लेकिन वरिष्ठ स्तर पर गलत आंकड़े पेश कर जिले के मिलर्स को मिलिंग के लिए धान ना देकर दूसरे जिले मंडला और अन्य जिलो के राईस मिलर्स को धान दिया गया। वही धान सड़ रही है ऐसा बोलकर दूसरों से कमीशन लेकर उन्हें काम नहीं दिया जा रहा है। और यह पूरा खेल मेनु चार्ट की तरह कमीशन पर चल रहा है।जिले में विपणन अधिकारी और लेखापाल, कमीशन के मेनु चार्ट से धान के अनुबंध से लेकर उसका पेमेंट और आरोह को तय करते है और जो राईस मिलर्स, ऐसा नहीं करता है, उसे आरोह नहीं दिया जाता है, जिसके कारण कई राईस मिलर्स के मजदूर या तो पलायन कर रहे है या फिर आवक और बिजली बिल की खपत से कम कमाई होने के कारण राईस मिलर्स मिले बंद करने का विचार कर रहे है। उन्होंने बताया कि जब हमने कमीशन देने से इंकार कर दिया तो अधिकारियों ने हमें काम ही नहीं दिया और आज भी हमें काम नहीं दिया जा रहा है। इसके विरोध में हमने इनकी शिकायत अधिकारियों से की है। वहीं भारत सरकार खादय विभाग सचिव को भी पत्र लिखकर मामले की जांच करने की गुहार लगाई है। हमारी मांग है कि ऐसे कमीशनखोर अधिकारी कर्मचारी को यहां से हटाया जाए।

ऐसे कमीशन खोर अधिकारियों कर्मचारियों को यहां से हटाया जाए
शिकायकर्ता मिलर्स ने बताया कि इस मामले में प्रमुख सचिव खाद्य मध्यप्रदेश शासन एवं सचिव खाद्य केन्द्र शासन को इसकी शिकायत आंकड़ो के साथ की गई है और हमें उम्मीद है कि जांच के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इस कार्यालय कमीशन खोरी का खेल ढलने से चल रहा है हर बात पर हर कार्य के लिए कमीशन की मांग की जाती है जो इसका विरोध करता है उसे काम नहीं दिया जाता और बाहर के मिलर्स को बुलाकर उनसे मोटा कमीशन वसूल जा रहा है हमारी मांग है कि जल्द से जल्द मामले की जांच कराई जाए और ऐसे कमीशन खोर अधिकारियों कर्मचारियों को यहां से हटाया जाए।

सभी आरोप झूठे व बे -बुनियाद है- रघुवंशी
इस पूरे मामले को लेकर दूरभाष पर की गई चर्चा के दौरान विपरण अधिकारी हिरेन्द्रसिंह रघुवंशी ने बताया कि राइस मिलर्स द्वारा कमीशन मांगने के जो भी आरोप लगाए गए हैं।वह सभी आरोप झूठे व बे- बुनियाद है. उन आरोपो का कोई आधार नहीं है. जबरन ही झूठे आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने आगे बताया कि लेखपाल धान का आरोह देते हैं आरोह देने में किसी भी प्रकार के कमीशन की मांग नहीं की जाती।

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