जिला अस्पताल में भर्ती एक नवजात शिशु की मृत्यु को लेकर परिजनों का आक्रोश अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ सामने आया। आक्रोशित परिजनों ने जिला अस्पताल में जमकर हंगामा किया उसके बाद जिला अस्पताल के सामने रोड पर अपने मृत बच्चे को लेकर सांकेतिक चक्काजाम किया तथा जिला अस्पताल की भ्रष्ट व्यवस्था को लेकर विरोध जाहिर किया।
परिजनों का यह विरोध प्रदर्शन जिला अस्पताल के सामने रोड पर करीब 15 मिनट तक चला जिसके बाद कोतवाली पुलिस के अमले के पहुंचने पर विरोध प्रदर्शन को शांत कराया गया।
आपको बताये कि खैरलांजी थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले बैजू मोहगांव निवासी अंकुश नेवारे की पत्नी अश्विनी नेवारे की डिलेवरी 7 जुलाई को ट्रामा सेंटर में हुई थी। सीजर ऑपरेशन से इन्हें लड़का हुआ था बच्चे की स्थिति को देखते हुए उसे डॉक्टर द्वारा एसएनसीयू में रखने के लिए कहा गया था।
जब वे लोग एसएनसीयू में गए तो वहां के नर्स द्वारा उन्हें कहा गया यहां रखने के बजाय हनुमान चौक के पास लाइफ केयर अस्पताल है वहां भर्ती कराये, आपके बच्चे का वहां अच्छे से उपचार होगा।
लाइफ केयर अस्पताल में 2 दिन तक रखने के बाद पैसे समाप्त हो जाने की स्थिति में तथा स्वास्थ्य में सुधार नहीं दिखने के चलते बच्चे को वापस जिला अस्पताल लाकर एसएनसीयू में भर्ती करने का प्रयास किया जाने लगा।
परिजनों का कहना है कि प्राइवेट अस्पताल में 2 दिन में ही उन्हें काफी पैसे लग चुके हैं जिला अस्पताल के एसएनसीयू में 9 जुलाई की सुबह भर्ती कराने के दौरान टालमटोल किया जाने लगा, लेकिन किसी तरह सुबह करीब 10:30 बजे बच्चे को जिला अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती किया गया था जिसकी रविवार कि सुबह करीब 7 बजे मृत्यु हो गई।
मोबाइल पर चर्चा करने पर एसएनसीयू वार्ड प्रभारी शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर निलेश जैन ने बताया कि बच्चे को सीरियस स्थिति में लाया गया था बच्चे की स्थिति को देखते हुए तत्काल ही एसएनसीयू में भर्ती किया गया जिसकी आज सुबह मृत्यु हो गई। उपचार में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती गई, जहां तक बच्चे को 7 जुलाई को एसएनसीयू में भर्ती किए जाने के दौरान किसी नर्स द्वारा मशीन खाली नहीं होने की बात कही जाना और 9 जुलाई को भर्ती करने के दौरान नर्स पर 500 रुपये लिये जाने का जो आरोप लगाया जा रहा है यह दोनों विषय जांच के हैं। परिजनों द्वारा जो विरोध प्रदर्शन किया गया उसको देखते हुए सोमवार को मीटिंग बुलाई गई है, कोई नर्स अगर इसमें दोषी पाई जाती है तो उसके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी।
आपको बताये कि इस तरह के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। कुछ माह पूर्व सोशल मीडिया पर यह भी जानकारी सामने आई थी कि प्राइवेट अस्पतालों में किसी पेशेंट को भिजवाया जाता है तो उसके लिए अलग-अलग कमीशन चार्ज निर्धारित है। इस तरह के विषय दोबारा ना आये इसके लिये जिला अस्पताल प्रबंधन को इस ओर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
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