Asteroid News : हम आए दिन एस्टेरॉयड के पृथ्वी से पास से होकर गुज़रने की खबरें पढ़ते व सुनते हैं। कई एस्टेरॉयड एक सुरक्षित दूरी पर रहते हैं तो कई का धरती से टकराने का खतरा अधिक होता है। वैज्ञानिकों ने चेताया है कि हमें अब सावधान रहना होगा। ऐस्टरॉइड के धरती से टकराने का खतरा कभी खत्म नहीं होगा। अमेरिकन वैज्ञानिक और द प्लानेटेरी सोसायटी के सीईओ विलियम सेनफोर्ड न्ये (वास्तविक नाम) जो ‘बिल न्ये’ के नाम से विज्ञान जगत में लोकप्रिय हैं ने धरती पर ऐस्टरॉइड्स के खतरों के प्रति आगाह किया है। उन्होंने कहा है कि धरती को ऐस्टरॉइड के कहर से बचाने के लिए सक्रिय होकर समूचे कदम उठाने की जरूरत है, वरना भारी तबाही मच सकती है। इसलिए वह और उनका प्रशासन ऐस्टरॉइड के खतरे को गंभीरता से लें और नासा के प्लेनेटरी डिफेंस प्रोग्राम के बजट को बढ़ाया जाए ताकि अंतरिक्ष से आने वाले खतरों की अच्छे से पहचान की जा सके।
नासा के मुताबिक यह है ऐस्टरॉइड के पृथ्वी से टकराने की संभावना
धरती के इतिहास में पिछले 6.6 करोड़ साल से ही ऐस्टरॉइड धरती की ओर आते रहे हैं, इसलिए वैज्ञानिकों ने उनकी ओर ध्यान देना कम कर दिया है। हालांकि, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ इन ऐस्टरॉइड पर अध्ययन और शोध करती है। नासा ने अब तक धरती के करीब आने वाले सभी ऑब्जेक्ट की पहचान अच्छे से की है और लगभग 90 % ऐस्टरॉइड पर नजर रखी जा रही है। इस वजह से जहां बड़े ऐस्टरॉइड के टकराने का खतरा कम है, लेकिन छोटे ऐस्टरॉइड के टकराने से तबाही मचना संभव है। वहीं नासा के मुताबिक ऐस्टरॉइड के टकराने का खतरा बहुत कम है। यह तीन लाख में से एक ही बार संभव है। इससे पहले वर्ष 2013 में रूस के चेल्याबिंस्क में एक उल्का विस्फोट हुआ था। तब एक बड़े से ऐस्टरॉइड ने धरती के सतह पर गड्ढा बना दिया था। वर्ष 1908 में भी साइबेरिया के तुंगुस्का में एक ऐस्टरॉइड ने हिट किया था। सोसायटी ने कहा कि अमेरिका चंद्रमा और मंगल ग्रह पर अपने अभियानों को जारी रखे।
क्यों बदलती है ऐस्टरॉइड की दिशा?
ऐस्टरॉइड ‘2001 FO32’ सौरमंडल में 34.4 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से सफर कर रहा है। नासा के मुताबिक ‘2001 FO32’ 21 मार्च को धरती से 5.3 लूनर डिस्टेंस की दूरी से गुजरेगा यानी करीब 20 लाख किलोमीटर की दूरी से। इस ऐस्टरॉइड को अधिक खतरें वाली श्रेणी में रखा गया है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि इससे अभी कोई तत्काल खतरा है। इस श्रेणी के ऐस्टरॉइड्स के भविष्य में धरती से टकराने की संभावना हो सकती है। वास्तव में, ऐस्टरॉइड्स के रास्ते पर बहुत सी चीजों का असर पड़ता है। जैसे- सौर मंडल के ऑब्जेक्ट्स का गुरुत्वाकर्षण। इसकी वजह से उनका रास्ता बदल सकता है। इसके अलावा सूरज की गर्मी से पिघलने और फिर ठंडा होने पर रेडिएशन के उत्सर्जन से भी इनका रास्ता बदल सकता है।
ऐस्टरॉइड्स पर रखता है नासा निगरानी
ऐस्टरॉइड्स पर वैज्ञानिकों की नजरें न सिर्फ धरती की तरफ आते संकट को भांपने के लिए होती हैं, बल्कि इसलिए भी क्योंकि माना जाता है कि 4.6 अरब साल पहले सौर मंडल के बनने के साथ पैदा हुए ये ऑब्जेक्ट अब तक बदले नहीं हैं। इससे ब्रह्मांड से जुड़े सवालों के जवाब खोजने में ऐस्टरॉइड्स की रिसर्च मददगार हो सकती है। नासा का सेंट्री सिस्टम ऐसे खतरों पर पहले से ही नजर रखता है। इस के अनुसार आगामी सौ वर्षों में फिलहाल 22 ऐसे ऐस्टरॉइड्स हैं, जिनके पृथ्वी से टकराने की थोड़ी सी संभावना दिखती है। इस लिस्ट में सबसे पहला और सबसे बड़ा ऐस्टरॉइड ‘29075 (1950 DA)’ है, जो 2880 तक नहीं आने वाला है। इसका आकार अमेरिका की एम्पायर स्टेट बिल्डिंग से भी तीन गुना ज्यादा है। एक वक्त था, जब इसके पृथ्वी से टकराने की संभावना सबसे ज्यादा बताई जाती थी।
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