लेफ्ट आर्म फास्ट बॉल जयदेव उनादकट को इंग्लैंड दौरे और वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल के लिए टीम इंडिया में मौका नहीं मिला। साथ ही उन्हें श्रीलंका दौरे के लिए भी टीम इंडिया की B टीम में नहीं चुना गया। इससे उनादकट काफी निराश नजर आए। उन्होंने कहा कि कुछ भी हो जाए वे हार नहीं मानेंगे।
उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए भाग्य पर फैसला छोड़ते हुए कहा कि जब मौका मिलना होगा, तब जरूर मिलेगा। फिलहाल, मैंने क्या गलत किया है, यह तो मैं भी नहीं जानता। उन्होंने कहा कि जिस खेल ने उन्हें इतना कुछ दिया, उसे खेलना नहीं छोड़ेंगे।
बचपन से ही दिग्गज क्रिकेटर्स को देखकर सीखता रहा
उनादकट ने कहा कि मैंने बचपन में ही अपने जुनून को पहचान लिया था। तभी से इस खेल के दिग्गजों को देखता और उनसे सीखता आ रहा हूं। कई सालों बाद मैंने खुद भी यह अनुभव किया। मैंने उन सभी में कभी हार नहीं मानने का जज्बा देखा और सीखा। बड़ा हुआ तो लोगों ने मुझे छोटे शहर का बड़े सपने देखने वाला कहा और कई गलतियां भी निकालीं।
हालांकि, कुछ समय बाद सभी की सोच में मेरे प्रति बदलाव भी आया। मैं भी परिपक्व हो गया था। जीवन में उतार, चढ़ाव, ज्यादा खुशी और निराशा सबकुछ देखा। पता नहीं मैं इस खेल के बिना क्या होता। इसने मुझे बहुत कुछ दिया। मुझे कोई पछतावा नहीं है कि मेरे सिलेक्शन क्यों नहीं हुआ, मेरा टाइम कब आएगा या मैंने क्या गलत किया, पता नहीं। मुझे पहले भी कई मौके मिले और आगे भी मिलेंगे। मेरा मानना है कि जब भी मुझे मौके मिलना होंगे, तब जरूर मिलेंगे।
उनादकट ने 1 टेस्ट खेला, जिसमें विकेट नहीं ले सके
उनादकट ने 2020 में पहली बार सौराष्ट्र को रणजी ट्रॉफी जिताई थी। तब इस तेज गेंदबाज ने उस सीजन में 67 विकेट झटके थे। उनादकट ने टीम इंडिया के लिए 1 टेस्ट, 7 वनडे और 10 टी-20 खेले हैं। टेस्ट में कोई विकेट नहीं ले सके, जबकि वनडे में उनके नाम 8 और टी-20 में 14 विकेट दर्ज हैं। उनादकट ने 2010 से IPL में डेब्यू किया था। वे राजस्थान रॉयल्स के लिए खेले थे।