केंद्र सरकार में भाजपा की सहयोगी पार्टी आरपीआई के मुखिया और केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले (Ramdas Athawale) के एक बयान के बाद सियासी हलचल बढ़ गई है। Ramdas Athawale का कहना है कि जब भारतीय मूल की कमला हैरिस अमेरिका में उपराष्ट्रपति बन सकती हैं, तो सोनिया गांधी भी 2004 में प्रधानमंत्री बन सकती थीं। बता दें, तब यूपीए को बहुमत मिला था, लेकिन Sonia Gandhi ने प्रधानमंत्री बनने से इन्कार कर दिया था। Ramdas Athawale ने यह भी कहा कि यदि Sonia Gandhi को पीएम नहीं बनना था, तो मनमोहन सिंह की जगह शरद पंवार को यह जिम्मेदारी सौंपना थी। रामदास आठवले ने अमरिंदर सिंह से भी अपील की कि कांग्रेस में उन्हें अपमान मिला है, इसलिए उन्हें भाजपा या राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा, अगर अमरिंदर सिंह भाजपा में शामिल होते हैं, तो पंजाब में आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी की स्थिति मजबूत होगी। बता दें, अमरिंदर सिंहं ने हाल ही में पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में इस्तीफा दे दिया है और वे नवजोत सिंह सिद्धू को तवज्जो दिए जाने के बाद पार्टी आलाकमान से भी खफा हैं।
Ramdas Athawale का यह बयान सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। यूजर्स अपने-अपने हिसाब से मतलब निकाल रहे हैं। कुछ का कहना है कि Ramdas Athawale अब पाला बदलना चाहते हैं इसीलिए भूमिका बना रहे हैं।
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बकौल रामदास आठवले, ‘2004 के आम चुनावों में जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) को बहुमत मिला, तो मैंने प्रस्ताव दिया था कि सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनना चाहिए। मेरा मानना था कि उनके विदेशी मूल के मुद्दे का कोई मतलब नहीं है। अगर कमला हैरिस अमेरिका की उपराष्ट्रपति बन सकती हैं तो भारत की नागरिक, राजीव गांधी (पूर्व पीएम) की पत्नी और निर्वाचित लोकसभा सांसद सोनिया गांधी प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन सकतीं?’
रामदास आठवले ने आगे कहा, मनमोहन सिंह की जगह शरद पवार को पीएम बनाना चाहिए था, लेकिन सोनिया गांधी ने ऐसा नहीं किया। अगर पवार 2004 में देश के पीएम बनते तो कांग्रेस की स्थिति मजबूत होती और पार्टी को वर्तमान अनिश्चित स्थिति से बचाया जा सकता था।
बता दें, ये शरद पवार ही थे, जिन्होंने 1999 में सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठाया था। इसके बाद ही पवार को कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया था। बाद में उन्होंने एनसीपी का गठन किया था। मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया था। भाजपा के प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आने के बाद नरेंद्र मोदी ने उनका स्थान लिया।