वॉशिंगटन: भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी के हालिया अमेरिकी दौरे के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को F35 फाइटर जेट बेचने का ऑफर दिया है। अमेरिका की ओर से ये ऑफर ऐसे समय मिला है, जब इंडियन एयरफोर्स (IAF) आधुनिक लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही है। IAF जल्दी ही 100 से ज्यादा नए लड़ाकू विमान खरीदना चाहती है। भारतीय एयरफोर्स की पसंद के जेट की लिस्ट में अमेरिका के F-35 के अलावा फ्रांस के राफेल F4 विमान शामिल हैं। इंडियन डिफेंस रिसर्च विंग (IDRW) ने दोनों विमानों की कीमत और रखरखाव के खर्च का आंकलन करते हुए ये जानने की कोशिश की है कि भारत के लिए दोनों में से कौन सा विमान किफायती रहेगा।
IDRW ने 110 F-35 और राफेल F4 विमानों की खरीद कीमत और 40 साल के जीवनकाल की लागत की तुलना की है। F-35 पांचवीं पीढ़ी का और राफेल F4 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। F-35 की ऑपरेशनल और रखरखाव लागत ज्यादा है तो राफेल की कम है। राफेल लंबी अवधि तक रखने के लिहाज से भी अधिक किफायती है। दूसरी ओर F-35 तकनीकी रूप से बेहतर है। ऐसे में भारत को सभी पहलुओं की तुलना करते हुए फैसला लेना है।
अमेरिकी विमान की कीमत और खासियत
F-35 पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर है। यह तीन वेरिएंट में उपलब्ध है। इसमें F-35A (पारंपरिक टेकऑफ और लैंडिंग), F-35B (छोटा टेकऑफ और वर्टिकल लैंडिंग) और F-35C (विमानवाहक पोत आधारित) है। भारतीय वायुसेना के लिए F-35A अच्छा विकल्प है क्योंकि यह जमीन पर ऑपरेशन के लिए अनुकूल है और B और C वेरिएंट से सस्ता है। बड़े पैमाने पर उत्पादन के चलते F-35A की प्रति यूनिट लागत में भी कमी आई है।