नई दिल्ली। करीब आठ महीने के बाद चीन ने स्वीकार किया कि 14-15 जून 2020 को गलवान में उसके पांच सैनिक मारे गए थे। ये बात अलग है कि अलग अलग अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट चीन के दावे को ठुकराते हैं। केंद्रीय मंत्री वी के सिंह कहते रहे हैं कि कम से कम 40 सैनिक मारे गए। इस संबंध में चीन ने शुक्रवार को एक प्रोपेगैंडा वीडियो जारी किया गया जिसके जरिए यह बताया कि वास्तव में वो तो हिंसा चाहता ही नहीं था। विवाद को सुलझाने के लिए गश्त पर थे। लेकिन चीन द्वारा जारी वीडियो से साफ हो चुका है कि घुसपैठ की कोशिश किसने की थी।
गलवान से संबंधित वीडियो को चीन ने जारी किया
वीडियो को उसी दिन रिलीज किया गया जिस जिन चीन ने माना कि उसके पांच सैनिक शहीद हो गए। इससे पहले चीन किसी भी तरह के अपने नुकसान से इंकार करता रहा है। इस वीडियो में चीन के चारों हताहत सैनिकों को देखा जा सकता है। इसके साथ ही वीडियो में यह नजह आ रहा है कि किस तरह से चीनी सैनिकों और भारतीय जवानों के बीच झड़प हुई थी। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि किस तरह से दोनों देशों के सैनिक लाठी और डंडों के जरिए ही एक दूसरे से भिड़ गए थे।
सच छिपाता रहा है चीन
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने पहले दिन में स्वीकार किया था कि पिछले साल पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना के साथ भयंकर झड़प में उनके चार सैनिक मारे गए थे।हमें ध्यान देना चाहिए कि पिछले साल के जून में गालवान घाटी में भारतीय सेना की जिम्मेदारी है, क्योंकि उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अवैध रूप से अत्याचार किया था, घटना की शुरुआत की और चीनी सेना पर हिंसक हमला किया और हमला किया, जिससे दोनों पक्षों के हताहत हुए।
संघर्ष के लिए भारत जिम्मेदार
पीएलए डेली ने कहा कि चीनी सेना ने देश की पश्चिमी सीमा की रक्षा करने के लिए मरणोपरांत पुरस्कार पाने वाले चार सहित दो अधिकारियों और तीन सैनिकों को सम्मानित किया। काराकोरम पर्वत में तैनात पांच चीनी सीमांत अधिकारियों और सैनिकों को चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) द्वारा भारत के साथ सीमा टकराव में उनके बलिदान के लिए मान्यता दी गई है, जो जून 2020 में गालवान घाटी में हुई थी।चीनी विदेश मंत्रालय ने बाद में दिन में भारत पर उनकी लापरवाही का आंकड़ा बढ़ाकर “सच्चाई को विकृत करने” का आरोप लगाया।