आज यानी 8 मार्च को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। इसे हर साल नई थीम के साथ मनाया जाता है। साल 2021 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस महिला दिवस #ChooseToChallenge थीम के साथ मनाया जा रहा है। इस थीम को सिलेक्ट करने का मकसद है कि दुनिया चुनौतीपूर्ण है और सभी अपने विचार और कार्य के लिए जिम्मेदार हैं। इस खास अवसर पर आम लोगों से लेकर जाने-माने लोग तक अपने-अपने अंदाज में बधाई दे रहे हैं। क्रिकेट हस्तियों ने भी महिला दिवस 2021 पर अपने विचार प्रकट किए और बधाई दी। आइए जानते हैं कि किस क्रिकेटर ने क्या कहा?
कोहली ने महिलाओ को यूं दी बधाई
भारतीय कप्तान विराट कोहली ट्विटर पर लिखा, ‘दुनिया की सभी अद्भुत महिलाओं को महिला दिवस की शुभकामनाएं। महिलाओं की ताकत ही समाज की ताकत है।’ भारतीय टेस्ट टीम के उपकप्तान अजिंक्य रहाणे ने ट्वीट किया, ‘मैं अपने जीवन में मजबूत महिलाओं के साथ रहकर खुद को बेहद भाग्यशाली महसूस करता हूं। मुझे सपोर्ट करने के लिए आप सभी का शुक्रिया। सभी अद्भुत महिलाओं को महिला दिवस की बहुत-बहुत बधाई।’ टीम इंडिया के बल्लेबाज मयंक अग्रवाल ने कहा, ‘महिला वो होती है जो भीड़ द्वारा दिखाए गए डायरेक्टश का पालन करने के बजाय अपनी राहें खुद बनाती हैं।’
कप्तान मिताली राज ने की ये अपील
वहीं, महिला दिवस के मौके पर भारतीय महिला वनडे क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज ने लेप्रोसी से जूझ रही महिलाओं की मदद करने की अपील की। मितालीने ट्विटर पर लिखा, ‘8 मार्च इंटरनेशनल वुमंस डे! उम्मीद करते हैं कि लेपरोसी से जूझ रहीं महिलाएं हमारी सेवाओं का लाभ उठाने में सक्षम हों। लेप्रोसी को मात देने के लिए का सपोर्ट करें। दान करें।’
भारत के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज वीवीएस लक्ष्मण ने महिलाओं की खासियत बाते हुए ट्वीट किया कि वे हमारी ताकत, हमारी प्रेरणा हैं, जिनमें सुनने का धैर्य, समझने की इच्छा, केयर करने की शक्ति है। साथ ही एक बड़ा दिल है। सभी अतुल्य महिलाओं को हैप्पी वुमंस डे! आप हमेशा छाई रहें। न सिर्फ आज बल्कि हर रोज!
पहली बार कब मनाया गया महिला दिवस?
साल 1908 में एक महिला मजदूर आंदोलन की वजह से महिला दिवस मनाने की परंपरा का बीज पड़ा था। तब 15 हजार महिलाओं ने नौकरी के घंटे कम करने, बेहतर वेतन और कुछ अन्य अधिकारों की मांग को लेकर अमेरिका के न्यूयार्क में प्रदर्शन किया था। वहीं, पहली बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस साल 1911 में मनाया गया था। हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसे मनाने की शुरुआत साल 1975 में हुई। उस साल संयुक्त राष्ट्र ने इसे मनाया