अतिथि शिक्षक रहते हुए अपने खर्चे पर बीएड करने वाले लाभ से वंचित हैं। लिहाजा हाई कोर्ट की शरण ली गई। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इस सिलसिले में राज्य शासन सहित अन्य से पूछा है कि शिक्षक भर्ती परीक्षा में चयनित होने के बावजूद अतिथि शिक्षक रहते हुए बीएड करने वाले उम्मीदवारों को अयोग्य क्यों घोषित कर दिया गया? हाई कोर्ट ने राज्य सरकार, आयुक्त व संचालक लोक सूचना, आयुक्त राज्य शिक्षा केंद्र व सामान्य प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
ओबीसी अतिथि शिक्षक वर्ग की प्रावीण्य सूची में था : याचिकाकर्ता राजेश सिंह की ओर से अधिवक्ता वृंदावन तिवारी ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता ने स्कूल शिक्षा विभाग के तहत शिक्षक भर्ती परीक्षा दी। परीक्षा का परिणाम 28 अगस्त 2019 को घोषित हुआ। वह ओबीसी अतिथि शिक्षक वर्ग की प्रावीण्य सूची में था। चयन प्रक्रिया में दस्तावेज सत्यापन के समय 23 जून 2020 को अचानक चयन के लिए बनाए गए नियम बदलने की अधिसूचना जारी कर दी गई। बदले हुए नियमों के तहत दो जुलाई 2020 को आदेश जारी कर कहा गया कि अतिथि शिक्षक रहते हुए बीएड करने वालों को चयन प्रक्रिया के अयोग्य समझा जाएगा। ऐसे उम्मीदवार की उम्मीदवारी निरस्त कर दी जाएगी। बहस के दौरान अधिवक्ता वृंदावन तिवारी ने दलील दी कि चयन प्रक्रिया के बीच इस तरह से नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता। उन्होंने इसे अनुचित बताते हुए आग्रह किया कि उक्त नोटिफिकेशन व इसके परिप्रेक्ष्य में जारी किया गया आदेश निरस्त किया जाए। प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने अनावेदकों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने याचिका के सभी बिंदुओं पर गौर करने के बाद राज्य से सफाई पेश करने कहा है। भविष्य से इस तरह खिलवाड़ न करने की सख्त ताकीद दी गई है।