जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने तहसीलदार को पदोन्नत न किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर राज्य शासन सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया है। इसके लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है। न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता रायसेन निवासी राज लगन बागड़ी की ओर से अधिवक्ता मनोज कुशवाहा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति नायब तहसीलदार के रूप में हुई थी। बाद में तहसीलदार बतौर पदोन्नत किया गया। 2016 में जब पदोन्नति समिति की बैठक हुई, तो याचिकाकर्ता का नाम पदोन्नति के लिए भेजा गया था। याचिकाकर्ता को उपयुक्त पाया गया। इसके बावजूद उसका नाम प्रतीक्षा सूची में दर्ज कर दिया गया। यही नहीं इस बीच तीन तहसीलदार सेवानिवृत्त हो गए। लिहाजा, पदोन्नति वाला पद रिक्त था। इसके बाद भी याचिकाकर्ता को पदोन्नत करने की दिशा में गंभीरता नहीं बरती गई। जिसके खिलाफ हाई कोर्ट आना पड़ा। हाई कोर्ट ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद राज्य शासन सहित अन्य से जवाब मांग लिया।
हाई कोर्ट ने मध्याह्न भोजन ठेके पर यथास्थिति के निर्देश दिए :
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मध्याह्न भोजन ठेके पर यथास्थिति बरकरार रखने के निर्देश दिए हैं। साथ ही राज्य शासन को शोकॉज नोटिस के दिए गए जवाब पर विचार कर नए सिरे से निर्णय लेने कहा गया है। न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता स्वसहायता समूह की ओर से अधिवक्ता ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि मनमाने तरीके से भोजन ठेका निरस्त कर दिया गया। इसके पीछे कारण यह दर्शाया गया कि शोकॉज नोटिस का जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया। जबकि याचिकाकर्ता ने पूर्व में ही शोकॉज नोटिस का जवाब प्रस्तुत कर दिया था। इसके बावजूद उस जवाब पर विचार किए बगैर ठेका निरस्त करने की कठोर कार्रवाई कर दी गई। इससे समूह को न केवल नुकसान हुआ बल्कि उसकी साख को भी धक्का लगा है। इसीलिए न्यायहित में हाई कोर्ट आना पड़ा।