LTTE चीफ प्रभाकरन के जिंदा होने का दावा मजाक:श्रीलंका ने कहा- वो 2009 में मारा गया था, DNA से साबित हो चुका है

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श्रीलंका की डिफेंस मिनिस्ट्री ने LTTE चीफ वेलुपिल्लई प्रभाकरन के जिंदा होने के दावे को मजाक बताया है। मिनिस्ट्री के प्रवक्ता ने कहा कि ये कंफर्म है कि प्रभाकरन 19 मई 2009 को मारा गया था। उसके DNA से यह साबित हो चुका है।

दरअसल, कल यानी सोमवार को तमिलनाडु के कांग्रेस नेता और वर्ल्ड कन्फेडरेशन ऑफ तमिल के अध्यक्ष पाझा नेदुमारन ने दावा किया था कि लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम यानी LTTE का चीफ वेलुपिल्लई प्रभाकरन जिंदा है।

श्रीलंका ने DNA टेस्ट के बाद प्रभाकरन की मौत की पुष्टि की थी
श्रीलंका की सरकार के मुताबिक, LTTE चीफ प्रभाकरन 17 मई, 2009 को श्रीलंकाई सेना के एक ऑपरेशन में मारा गया था। उस समय श्रीलंका के सैनिक उसे पकड़ने की कोशिश कर रहे थे। अगले दिन उसका शव मीडिया को दिखाया गया था

प्रभाकरन की मौत के एक हफ्ते बाद LTTE के प्रवक्ता सेल्वारासा पथ्मनाथान ने उसके मारे जाने की बात मानी थी। दो हफ्ते बाद DNA टेस्ट के हवाले से प्रभाकरन के शव की पहचान पुख्ता की गई थी। श्रीलंका की सेना के ऑपरेशन के दौरान ही प्रभाकरन के बेटे एंथनी चार्ल्स की भी मौत हुई थी।

LTTE की मौजूदगी से श्रीलंका में गृह युद्ध शुरू हो गया। इसे शांति करने के लिए 29 जुलाई 1987 को भारत और श्रीलंका के बीच शांति समझौते हुआ। 1987 में LTTE लड़ाकों से मुकाबले के लिए भारत ने भी अपनी सेना श्रीलंका भेजी थी। भारत के इस कदम से LTTE भारत के खिलाफ हो गया और उसने बदला लेने की ठानी। राजीव गांधी की हत्या के साथ LTTE का बदला पूरा हुआ।

अलग तमिल राष्ट्र की मांग के लिए बना था LTTE

  • लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम यानी LTTE श्रीलंका का आतंकी संगठन था। यह तमिलों के लिए अलग राष्ट्र की मांग कर रहा था। वेलुपिल्लई प्रभाकरन इसका मुखिया था।
  • 1976 में इस संगठन ने विलिकाडे में नरसंहार कर अपनी हिंसक और मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। इसके बाद यह लगातार मजबूत होता गया और उसने कई श्रीलंकाई नेताओं को निशाना बनाया।
  • 80 के दशक के बाद LTTE को कई देशों से सहयोग मिलने लगा और इसकी ताकत बढ़ती गई। 1985 में श्रीलंका सरकार ने तमिल विद्रोहियों के बीच शांति वार्ता की पहली कोशिश की थी, जो नाकाम रही।

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