जबलपुर। राष्ट्रपिता महात्मां गांधी की 73वीं पुण्यतिथि पर बीते 61 वर्षों की परंपरा का निर्वहन करते हुए मौन रखकर बापू को श्रृद्धांजलि दी जा रही है। इस अवसर पर विद्यालय की संपूर्ण गतिविधियां मौन रहकर की संपादित की गई ।
हूटर बजते ही किया मौन धारण: सुबह 11 बजे हूटर बजते ही विद्यालय में मौन शुरू हो गया, जो करीब साढे तीन घंटे 1:30 बजे तक रखा गया। सभी शिक्षक, विद्यार्थियों साथ विद्यालय परिसर में आने वाले प्रत्येक आगंतुक से भी अपेक्षा की जा रही थी कि सभी मौन रहकर ही अपने सारे काम करेंगे। इसका उद्देश्य मौन रहकर राष्ट्रपिता महात्मां गांधी को अपनी श्रृद्धांजलि देना था।
61 वर्ष पहले हुई थी शुरूआत: विद्यालय की प्राचार्य वीणा वाजपेयी ने बताया कि विद्यालय की इस अनूठी परंपरा को शुरू करने का श्रेय स्व. रामेश्वर प्रसाद गुरु पूर्व महापौर के साथ ही विद्यालय के स्वर्णिम युग के प्राचार्य स्व.एसपी निगम को जाता है। जिसकी शुरूआत 61 वर्ष पहले की गई थी। खास बात यह है कि परंपराएं बन तो जाती हैं लेकिन उन्हें निभाना कठिन हो जाता है, लेकिन मॉडल स्कूल में मौन की यह परंपरा अनवरत चली आ रही है। विद्यालय प्रशासन हर हाल में 30 जनवरी को होने वाले मौन का पालन करता है।
विद्यार्थियों की संख्या रही कम: विद्यालय में अभी नौंवी से 12वीं तक के विद्यार्थी पहुंच रहे हैं जिनकी संख्या काफी कम है। लेकिन जब विद्यालय में विद्यार्थियों की पूरी संख्या होती है जो कि लगभग 3 हजार होगी, तब भी यह मौन पूरी तरह सफलता से आयोजित होता है। इतने वर्षों से विद्यालय में अध्ययन करते हुए विद्यार्थी भी 30 जनवरी पर मौन रखने के अभ्यस्थ हो चुके हैं। उन्हें पता है कि यह मौन रखकर हम बापू को श्रृद्धांजलि दे रहे हैं। स्टाफ का कहना है कि वैसे तो हम हर समय बातचीत करते ही रहते हैं। राष्ट्रपिता के स्मरण में कुछ घंटे मौन रहकर हम उन्हें याद करते हैं। मौन के बावजूद विद्यालय में पढ़ाई भी होती है और अन्य सारे काम भी। मौन की समाप्ति के बाद ठीक 1 बजकर 30 मिनट पर रामधुन व बापू के भजनों के साथ मौन व्रत का समापन हो गया।