MP के बेरवास में तीसरे दिन भी चूल्हे नहीं जले; गुजरात में सिलेंडर फटने से परिवार के 9 लोगों की हुई थी मौत, 3 का दाह संस्कार पहले हो गया था

0

एक साथ 6 लोगों की अर्थियां एक साथ उठने पर मध्य प्रदेश के गुना जिले का बेरवास गांव फूट-फूट कर रोया। रविवार को एक ही चिता पर 6 शवों का दाह संस्कार हुआ। सभी एक ही परिवार के थे। 3 लोगों का दाह संस्कार शुक्रवार को हो चुका था। आज तीसरे दिन भी पूरे गांव में चूल्हे नहीं जले। अहमदाबाद में सिलेंडर फटने से गांव के दो भाइयों का पूरा परिवार खत्म हो गया था। घटना में 9 लोगों की मौत हो चुकी है। परिवार में अब सिर्फ बड़े भाई, पत्नी और दो बच्चे ही बचे हैं। गांव के दूसरे हिस्से में रहने वाले मीना और राजपूत समाज के लोग इस गांव के लोगों के लिए खाने-पीने का इंतजाम कर रहे हैं।

इससे पहले रविवार को जैसे ही 6 और शव गांव पहुंचे तो पूरे गांव में मातम छा गया। दो शव नाबालिगों के थे। रविवार को पांच अर्थियां बनाई गईं। एक पर दो बच्चों को रखा गया। गांव के लोगों की मदद से अर्थियों को मुक्तिधाम ले जाया गया। यहां एक ही चिता पर सबको रखकर अंतिम संस्कार किया गया।

गैस सिलेंडर फटने से हुए इस हादसे में एक परिवार पूरी तरह से उजड़ गया। दो भाइयों का कोई वारिस तक नहीं बचा। दो भाई, उनकी मां, पत्नियां और चारों बच्चे भी इस हादसे में मारे गए। परिवार में अब सिर्फ बड़ा भाई और उसके बीवी-बच्चे ही बचे हैं। गांव में ही रहकर खेती करते हैं।

मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार की तैयारी।

मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार की तैयारी।

रविवार को दैनिक भास्कर की टीम बेरवास पहुंची। यहां जमीनी हकीकत सरकार के दावों से एकदम उलट नजर आई। शहर से 70 किमी दूरी पर यह गांव बसा हुआ है। गांव की आबादी 1300 है। जंजाली-मधुसूदनगढ़ रोड से 4 किमी अंदर तक रास्ते से ही गांव में पहुंचा जा सकता है। गांव में अधिकतर घर कच्चे ही बने हैं।

जिस जगह इन शवों का अंतिम संस्कार हुआ, वहां के हालात तो और भी बदतर हैं। मुक्तिधाम तक जाने का रास्ता कीचड़ से भरा हुआ है। मुक्तिधाम के लिए बने टीनशेड में चादर तक नहीं। प्लेटफॉर्म भी जर्जर है। बरसात के मौसम में खुले आसमान के नीचे शवों का अंतिम संस्कार हुआ।

गुना से भारी संख्या में पलायन
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल रोजगार का सामने आया है। जिले में रोजगार न होने के चलते इन लोगों को 700 किमी दूर जाकर काम करना पड़ रहा था। मनरेगा के शोर चारों तरफ है। प्रशासन लाख दावे करता है कि गांव में मनरेगा के तहत काम दिए जा रहे हैं, लेकिन इस घटना ने सरकार के तमाम दावों की पोल खोल दी है। जिले में रोजगार एक बड़ी समस्या है। लोग राजस्थान और गुजरात मजदूरी करने के लिए पलायन कर जाते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here