मध्यप्रदेश में इस बार नवंबर बीते 22 साल में सबसे सर्द रहा। जबलपुर में तो पहली बार रात का पारा 7 डिग्री पर आ गया। भोपाल में साल 2009 के बाद पहली बार 10 डिग्री से नीचे न्यूनतम तापमान रिकॉर्ड हुआ। हालांकि, ग्वालियर में ठंड के तेवर अभी ज्यादा सख्त नहीं हुए हैं। इंदौर भी ज्यादा ठंडा नहीं हो सका है। यहां हवाएं नॉर्दन होने के कारण पारा ज्यादा नीचे नहीं उतर पा रहा। मध्यप्रदेश में गर्मी और बारिश के बाद अब ठंड का पैटर्न भी बदलने लगा है। मौसम वैज्ञानिक इसकी वजह जलवायु परिवर्तन को मान रहे हैं।
अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में मानसून की विदाई हुई। 10 साल में यह तीसरी सबसे लेट विदाई रही। मानसून के जाते ही मौसम एकदम शुष्क हो गया। हिमालय में बर्फबारी और पाकिस्तान से एक के बाद एक हवाएं (वेस्टर्न डिस्टर्बेंस) आने के कारण अक्टूबर में ठंड महसूस हुई, लेकिन इसके बाद तापमान में बढ़ोतरी होने से लोगों को गर्मी का एहसास होने लगा। नवंबर के पहले और दूसरे सप्ताह में न्यूनतम तापमान 15 से 20 डिग्री के बीच था। तीसरे सप्ताह भी ठंड के तेवर ज्यादा कड़क नहीं हुए, लेकिन अंतिम सप्ताह में ठंड ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है।
सबसे ठंडा रहता है ग्वालियर
मध्यप्रदेश के चार बड़े शहरों की बात की जाए, तो ग्वालियर इनमें सबसे ठंडा रहता है। यहां नवंबर में न्यूनतम तापमान यानी रात का पारा 8 डिग्री सेल्सियस के नीचे तक आ जाता है। ग्वालियर में 2 नवंबर 2001 को दिन का पारा सबसे ज्यादा 37.3 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था। रात का पारा सबसे कम 29 नवंबर 1970 में 3 डिग्री तक आ गया था। बीते 23 साल की बात की जाए तो 5 बार पारा 8 या उससे नीचे रहा।
भोपाल में ज्यादा ठंडक घुली
आमतौर पर नवंबर में राजधानी का मौसम सबसे खुशनुमा रहता है। इस दौरान रात का पारा 10 से 12 डिग्री तक रहता है। भोपाल में नवंबर में सबसे ज्यादा अधिकतम तापमान 4 नवंबर 1977 को 35.3 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था। 30 नवंबर 1941 को न्यूनतम तापमान सबसे कम 6.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ था। बीते 23 साल में दूसरी बार पारा 10 डिग्री सेल्सियस के नीचे आया है। इससे पहले साल 2009 में पारा 9.6 डिग्री सेल्सियस सबसे कम रहा था।