भोपाल: मध्यप्रदेश के सरकारी कॉलेजों के अतिथि विद्वानों के लिए पीएचडी अनिवार्य नहीं होगी। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम निर्देश में सरकार को नीति में बदलाव करने के लिए कहा है। इस निर्णय को कॉलेज के अतिथि शिक्षकों को बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है। मंगलवार को दिये आदेश में हाईकोर्ट ने अतिथि शिक्षक भर्ती नियम की धारा 10.4 पर रोक लगाते हुए कहा है कि पुरानी भर्तियों पर नए नियम लागू नहीं किये जा सकते।
उच्च शिक्षा विभाग ने जारी किेए थे नियम
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने रेगुलर असिस्टेंट प्रोफेसर्स के लिए जारी नियमों को अतिथि शिक्षकों पर भी लागू कर दिया था। शासन ने 23 अक्टूबर 2023 को अतिथि विद्वानों की नियुक्ति को लेकर नए दिशा-निर्देश कंडिका (पैराग्राफ) 10.6 के तहत जारी कर दिए थे। इस नियम को अतिथि शिक्षक प्रियंका उपाध्याय, पुष्पा चतुर्वेदी सहित अन्य 13 लोगों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। अब हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने इनके हक में फैसला देकर राहत प्रदान की है।
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में दीं दलीलें
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में तर्क दिया था कि एक तरफ तो जो अतिथि विद्वान पहले से कार्यरत हैं, उन्हें यथावत रखा जाएगा, लेकिन फेलन आउट (जिनका कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो चुका है) अतिथि विद्वानों को बगैर पीएचडी के कंटीन्यू नहीं किया जाएगा। उन्होंने कोर्ट को बताया कि जो व्यक्ति पिछले 10 सालों से अतिथि विद्वान के रूप में काम कर रहा है और अगर उसकी पीएचडी नहीं है तो आगे काम नहीं कर सकता। इसके बाद दूसरे गेस्ट टीचर जो पीएचडी डिग्री वाले हैं, उन्हें नियुक्ति दी जाएगी। आवेदकों ने कोर्ट को बताया कि जब आवेदकों की नियुक्ति हुई थी, उस समय पीएचडी की अनिवार्यता नहीं थी। नए नियमों में अगर पीएचडी की अनिवार्यता को लाया गया है तो जो व्यक्ति पहले से काम कर रहा है, उन पर ये लागू नहीं होता है।