NGO को विदेश से फंडिंग पाने के लिए करना होगा इंतजार, जानें सरकार ने FCRA के तहत रखी कौन सी शर्त

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने NGO के लिए एक नया नियम बनाया है। अब NGO को विदेशी फंड लेने के लिए ‘प्रायर परमिशन’ मिलने के बाद, सिर्फ तीन साल तक ही फंड मिल पाएगा। साथ ही, उस फंड को चार साल के अंदर इस्तेमाल भी करना होगा। यह नियम विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) के तहत बनाया गया है। गृह मंत्रालय ने सोमवार को एक नोटिस जारी कर यह जानकारी दी। मंत्रालय ने कहा कि अगर कोई NGO इस नियम को तोड़ता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

सरकार बढ़ा सकती है समय सीमा

गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि अगर किसी NGO को सही वजहों से तीन साल में फंड नहीं मिल पाता है या चार साल में इस्तेमाल नहीं हो पाता है, तो उन्हें मोहलत मिल सकती है। ऐसे मामलों में, सरकार मामले की गंभीरता को देखते हुए, समय सीमा बढ़ा सकती है। पहले, FCRA के तहत ‘प्रायर परमिशन’ की वैधता, उस प्रोजेक्ट या काम के साथ खत्म हो जाती थी, जिसके लिए फंड मिला था। अगर किसी NGO को किसी और प्रोजेक्ट के लिए या किसी नए स्रोत से फंड लेना होता था, तो उसे फिर से ‘प्रायर परमिशन’ लेनी पड़ती थी।

तीन साल के लिए मान्य होगी विदेशी फंडिंग लेने की परमिशन

मंत्रालय ने नोटिस में बताया कि FCRA, 2010 के सेक्शन 46 के तहत सरकार को यह अधिकार मिला है। इसी अधिकार का इस्तेमाल करते हुए, सरकार ने यह नियम बनाया है कि विदेशी फंड लेने की परमिशन सिर्फ तीन साल के लिए ही मान्य होगी। यह समय सीमा ‘प्रायर परमिशन’ के लिए एप्लीकेशन अप्रूव होने की तारीख से गिनी जाएगी।

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