सुप्रीम कोर्ट से स्थानीय निकायों और पंचायतों के चुनाव में ओबीसी आरक्षण भले ही खारिज हो चुका हो, लेकिन इस पर सियासी जंग तेज करने की बिसात बिछती दिखाई पड़ रही है। कांग्रेस ने विधानसभा के विशेष सत्र की मांग कर दी है, तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने ओबीसी को 27 प्रतिशत से अधिक टिकट देने की घोषणा कर दी है। अब भाजपा इसे मुद्दा बनाकर आरक्षण रद किए जाने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा रही है। भाजपा कह रही है कि न कांग्रेस के लोग इसे सुप्रीम कोर्ट ले जाते और न ही बिना आरक्षण के चुनाव करवाने की नौबत आती।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह को इस जंग की कमान सौंप दी है। राजनीतिक और कानूनी मामलों पर वह नजर रखेंगे। कानूनी सलाह लेने दिल्ली गए मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह को साथ ले गए हैं। दिल्ली जाने से पहले मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर मंत्री सिंह के साथ पूरे मामले पर चर्चा की है।
सुप्रीम कोर्ट से फिर आग्रह करेंगे
नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस की गलती का खामियाजा पूरा ओबीसी वर्ग भुगत रहा है। हम एकबार फिर कानूनी सलाह लेकर आवेदन दाखिल करेंगे कि 48 प्रतिशत से ज्यादा ओबीसी मतदाताओं की औसत संख्या मध्य प्रदेश में है। कुल मतदाताओं में से एससी व एसटी के मतदाताओं के अतिरिक्त शेष मतदाताओं में अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की संख्या 79 प्रतिशत है। इस आधार पर ओबीसी आरक्षण को बहाल करने की मांग की जाएगी।
ठीक ढंग से पैरवी नहीं की : कांग्रेस
कांग्रेस लगातार आरोप लगा रही है कि भाजपा ने ओबीसी आरक्षण मामले पर सुप्रीम कोर्ट में न ढंग से पैरवी की और न आयोग के माध्यम से ओबीसी के आंकड़े ही तथ्यात्मक रूप से जुटाए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ, राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव पहले ही आरोप लगा चुके हैं कि भाजपा सरकार ओबीसी वर्ग को आरक्षण देने के पक्ष में ही नहीं है, इसलिए वह कमजोर पैरवी कर ओबीसी को स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण से दूर रखना चाहती है। कांग्रेस महासचिव मीडिया केके मिश्रा ने कहा कि भाजपा सरकार की नियत साफ होती तो सुप्रीम कोर्ट में ठीक ढंग से पैरवी की जाती, जो नहीं की गई।
चुनाव आरक्षण के साथ होना चाहिए : नरोत्तम
गृहमंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर जो स्थिति बनी, उसके लिए कांग्रेस दोषी है। भाजपा ने तो चुनाव कराने की कोशिश की। चुनाव से भागी तो कांग्रेस है। भगौड़े बनकर अदालत जाओगे, तो परिणाम ऐसा ही होगा। तो दोषी कौन हुआ। हमने तो चुनाव की घोषणा कर प्रक्रिया प्रारंभ कर दी थी। हम आज भी संकल्पित हैं कि चुनाव आरक्षण के साथ होना चाहिए।