बीजिंग: पाकिस्तान कश्मीर को लेकर कभी अपने मंसूबे पर कामयाब नहीं हो पाएगा। इस बार पाकिस्तान ने अपने मित्र देश चीन से मदद की गुहार लगायी है। शनिवार को चीन और पाकिस्तान दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने का संकल्प लिया गया। इस दौरान चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक में पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूह कुरैशी ने एक बार फिर से कश्मीर मुद्दे पर मदद की गुहार लगायी है। बैठक में कश्मीर मुद्दे समेत चीन में 9 इंजीनियरों की आतंकी हमले में मौत की घटना की संयुक्त जांच को लेकर एवं कई विषयों पर चर्चा हुई।
कुरैशी ने ट्वीट के माध्यम से दी जानकारी
पाकिस्तान की तरफ से इस बैठक को बहुत खास बताया जा रहा है इसमें शाह महमूद कुरैशी के प्रतिनिधिमंडल में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद भी थे, जिन्होंने चेंगदू में वांग के साथ हुई वार्ता में कश्मीर मुद्दा भी उठाया था। बैठक के बार इसकी जानकारी कुरैशी ने अपने ट्वीट के माध्यम से की उन्होंने लिखा कि ‘शांतिपूर्ण, स्थिर एवं समृध्द दक्षिण एशिया के एक समान नजरिये को शेयर किया और कश्मीर के प्रति चीन के दृढ़ समर्थन की सराहना की। हमने यह दोहराया कि विवाद का हल संयुक्त राष्ट्र के नियमों, सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रस्तावों और द्विपक्षीय समझौतों के जरिए होना चाहिए जिसमें एकरतरफा कर्रवाई का विरोध हो’।
चीन- कश्मीर मुद्दे पर हो द्विपक्षीय समझौता
कश्मीर मुद्दे को लेकर पाकिस्तान का हमेशा से ही ईमान डोल रहा है। चीन के साथ हुई बैठक में पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दे को उठाना इस बात को जाहिर करता है कि अभी भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आने वाला। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय से जारी एक वक्तव्य में कहा गया कि ‘चीनी पक्ष ने दोहराया कि कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच इतिहास से विवाहिद चला आ रहा है और इसका संयुक्त राष्ट्र के नियमों, सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रस्तावों और द्विपक्षीय समझौतों के जरिए शांतिपूर्ण एवं उचित ढंग से समाधान निकाला जाना चाहिए। चीन ऐसी किसी भी एकतरफा कार्रवाई का विरोध करता है, जो स्थिति को जटिल बनाता हो’।
इमरान खान का कश्मीर में जनमत संग्रह करवाने का वादा
जानकारी के लिए आपको बतादें कि बैठक के ठीक एक दिन पहले यानी शुक्रवार को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाक कब्जे वाले कश्मीर के तरार खल में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कश्मीर में जनमत संग्रह करवाने का वादा किया था। इस दौरान इमरान ने कहा था कि 1948 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कश्मीर के लोगों को अपना भविष्य तय करने के लिए जनमत संग्रह करवाने का प्रस्ताव दिया था।