भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) शरद अरविंद बोबडे ने कहा कि न्याय एक अनोखी प्रक्रिया है। लिहाजा, रिट्रीट रूपी संवाद निश्चित रूप से नए आयाम स्थापित करेगा। वे मानस भवन में आल इंडिया ज्यूडीशियल अकादमी डायरेक्टर्स रिट्रीट के उद्धाटन अवसर पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एक न्यायाधीश बनने के लिए सिर्फ विधिक ज्ञान काफी नहीं है, इसके साथ समुचित प्रशिक्षण भी आवश्यक है। इस दृष्टि से न्यायिक अकादमी की गतिविधियां अत्यंत प्रासंगिक हैं। कोरोना महामारी एक चुनौती के रूप में सामने आई, जिसने मानसिक दक्षता को प्रभावित करते हुए तनाव पैदा किया है। उत्तेजना, उदासी व अवसाद के लक्षण सामने आने के कारण आरोग्य पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके लिए विशेष कार्यशालाएं आयोजित की जानी चाहिए, विशेषज्ञों के परामर्श लाभदायी होंगे।
पुस्तकों का हुआ विमोचन : भारत के न्यायालय : अतीत से वर्तमान और मध्य प्रदेश का न्यायिक इतिहास व न्यायालय शीर्षक महत्वपूर्ण पुस्तकों का सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एनवी रमना व जस्टिस अशोक भूषण के हाथों से विमोचन हुआ। इनकी पहली प्रति राष्ट्रपति को भेंट की गई। 1950 से लेकर अब तक के मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की पूर्णपीठ के न्यायदृष्टांतों पर आधारित हाई कोर्ट लॉ डाइजेस्ट की भूरि-भूरि सराहनी की गई।
कोरोनाकाल में तीन लाख मुकदमों का बोझ बढ़ा, न्यायाधीशों के नए पद सृजित करेंगे : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कोरोनाकाल में मप्र की न्यायपालिका पर तीन लाख मुकदमों का बोझ बढ़ गया है। लिहाजा, न्यायाधीशों के नए पद सृजित करने की आवश्यकता रेखांकित हुई है। इस दिशा में गंभीरता से प्रयास किया जाएगा। विचार-मंथन और शिक्षण-प्रशिक्षण से सहज, सुलभ व त्वरित न्यायदान प्रक्रिया को गति मिलेगी, इस दृष्टि से इस तरह के आयोजन अत्यंत प्रासंगिक साबित होंगे।
प्रबुद्धजन एक साथ मंथन करेंगे, तो अच्छा निष्कर्ष निकलेगा : राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि इतने सारे प्रबुद्धजन एक साथ मंथन करेंगे तो अच्छा निष्कर्ष निकलना तय है। इससे बिखरी न्याय प्रणाली को एकत्र करने में सफलता मिलेगी। लोकतंत्र में सरकार जनता के प्रति उत्तरदायी होती है और न्यायपालिका सरकार की रीढ़ है। न्यायपालिका ही लोकतंत्र के सार को सुरक्षित रखती है। लिहाजा, इस तरह के प्रशिक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होंगे। न्याय उपलब्ध कराना जनसेवा का सशक्त माध्यम है। प्रशिक्षित न्यायाधीश यह कार्य बेहतर तरीके से करने में समर्थ होंगे।
राष्ट्रपति सहित अन्य को प्रतीक चिन्ह भेंट किए : अभिनंदन क्रम में सर्वप्रथम मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक खान ने राष्ट्रपति को श्रीगणेश की प्रतिमा भेंट की। मप्र राज्य ज्यूडीशियल अकादमी के अध्यक्ष मप्र हाई कोर्ट के प्रशासनिक न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव ने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को, जस्टिस शील नागू ने सीजेआइ शरद अरविंद बोबडे को, जस्टिस सुजय पॉल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को, जस्टिस अतुल श्रीधरन ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एनवी रमना को, जस्टिस सुश्रुत धर्माधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण को, जस्टिस आनंद पाठक ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रविंद्र भट्ट को, जस्टिस विवेक रूसिया ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस हेमंत गुप्ता व मप्र हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व मप्र राज्य न्यायिक अकादमी के संचालक रामकुमार चौबे द्वारा प्रशासनिक न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव को नटराज का प्रतीक चिन्ह भेंट का सम्मानित किया।
मुख्य न्यायाधीश ने प्रस्तुत किया स्वागत भाषण : हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक खान ने मप्र राज्य न्यायिक अकादमी के शुभारंभ पर प्रकाश डाला। साथ ही 25 वर्षीय सोपान पर आयोजित रजत जंयती समारोह के बारे में अवगत कराया। कार्यक्रम का प्रारंभ व समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। आभार प्रदर्शन मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के प्रशासनिक न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव ने किया।