आमतौर पर स्कूली बच्चों के अभिभावकों की यह राय रहती है कि उनका बच्चा यदि सरकारी स्कूल में पढ़ेगा तो कमजोर रहेगा और प्राइवेट स्कूल में पढ़ने से होशियार हो जाएगा। ऐसा ही यदि आप भी सोचते हैं तो आपकी राय गलत हो सकती है। अब हाल ही में एक नए शोध में पता चला है कि “ज्यादातर माता-पिता मानते हैं कि निजी स्कूल उनके बच्चों को बेहतर शिक्षा देंगे और उन्हें जीवन में सफलता के लिए बेहतर तरीके से स्थापित करेंगे। लेकिन यह धारणा सच है या नहीं, इस पर सबूत निर्णायक नहीं हैं। न्यू इंग्लैंड विश्वविद्यालय से शिक्षा और मनोविज्ञान में पीएचडी कर रहे सैली लार्सन और अलेक्जेंडर फोर्ब्स ने इस बारे में एक शोध पत्र में विस्तार से लिखा है। यह शोध रिपोर्ट द कन्वर्सेशन पर प्रकाशित हुई है।
ऑस्ट्रेलिया में नर्सरी से चौथी कक्षा तक के 30 फीसदी बच्चे और पांचवीं से आठवीं तक के 40 फीसदी बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते हैं। निजी स्कूलों की फीस भी उन्हें संचालित करने वाली संस्था के अनुसार अलग-अलग तय की जाती है। कैथोलिक स्कूलों में पढ़ाना आम तौर पर कम खर्चीला होता है। इन स्कूलों में एक परिवार को फीस के रूप में प्रति वर्ष 40,000 डॉलर तक का खर्च करना पड़ता है। ‘स्वतंत्र स्कूल’ कहे जाने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया के सभी स्कूलों को सरकारी धन प्राप्त होता है। करीब करीब हर कैथोलिक स्कूलों को उनकी फंडिंग का लगभग 75 प्रतिशत मिलता है और स्वतंत्र स्कूलों को उनकी फंडिंग का लगभग 45 प्रतिशत राज्य और संघीय सरकारों से मिलता है।
बच्चों की पढ़ाई पर पारिवारिक पृष्ठभूमि का भी असर
शोध में पता चला है कि सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि के संदर्भ में निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र पब्लिक स्कूलों के बच्चों से अलग नहीं थे। ये निष्कर्ष ऑस्ट्रेलिया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए गए अन्य शोधों के अनुसार ही है, जो यह दिखाता है कि पारिवारिक पृष्ठभूमि एक निजी स्कूल में भाग लेने की संभावना और शैक्षिक उपलब्धि दोनों से संबंधित है। वहीं निजी स्कूलों में छात्रों की शैक्षिक उपलब्धि में अंतर प्रतीत हो सकता है, बच्चे की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखने के बाद ये गायब हो जाते हैं।
ऑस्ट्रेलिया में भी भारत की तरह यह राय है कि निजी स्कूल एक बच्चे की शिक्षा गुणवत्ता का विकास करते हैं। इसका मतलब है कि एक निजी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों की सीखने की गति सरकारी स्कूल के बच्चों की तुलना में बेहतर होनी चाहिए। जबकि शोध में इसके पक्ष में कोई तथ्य नहीं मिले हैं। अलग-अलग समूहों में किए गए अध्ययन में पता चला है कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्र में शैक्षिक रूप में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं, यदि उन बच्चों की पारिवारिक पृष्ठभूमि सकारात्मक हो। यह उन दावों को कमजोर करता है जो निजी स्कूल के छात्रों के बेहतर शैक्षणिक विकास का सुझाव देते हैं।