दमोह, Tantra Ke Gan। दूसरों को जोखिम से बचाने के लिए खुद की जान जोखिम में डालना कोई आसान बात नहीं है और यह सब केवल वही कर सकते हैं जो दूसरों का भी भला सोचते हैं। जिले की दो महिला अधिकारियों डिप्टी कलेक्टर भाव्या त्रिपाठी और होमगार्ड की प्लाटून कमांडर प्राची दुबे ने कोरोना संक्रमण के दौरान लाकडाउन के समय अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया और लोगों को राहत पहुंचाई। मार्च महीने में कोरोना संक्रमण के दौरान लगाए गए लाकडाउन में जिले में ऐसे अधिकारी, कर्मचारी थे जो संकट की घड़ी में अपने-अपने तरीके से लोगों की मदद में जुटे थे। इनमें भी कुछ ऐसे लोग थे जिन्हें संकटकाल में बड़ी जवाबदारी सौंपी गई थी जिसे उन्होंने बखूबी निभाया।
प्रशासनिक व्यवस्था के तहत दूसरे शहरों से आने वाले लोगों को क्वारंटाइन सेंटरों पर रखा जा रहा था, जिसका नोडल प्रभारी डिप्टी कलेक्टर भव्या त्रिपाठी और एसडीआरएफ की प्लाटून कमांडर प्राची दुबे को बनाया गया है। यह दोनों महिला अफसर पूरी लगन और निष्ठा के साथ अपनी ड्यूटी निभाने में लग गईं। बाहर से आने वालों को क्वारंटाइन सेंटर तक पहुंचाया और खुद भी अपने घरों में क्वारंटाइन होकर परिवार के अन्य सदस्यों से मिलना जुलना भी बंद कर दिया।
ये महिला अधिकारी अपनी ड्यूटी तो पूरी कर ही रही थीं, साथ ही अपने परिवार से 14 दिन तक दूर रहकर क्वारंटाइन सेंटर में रहने वाले लोगों को स्वजनों की याद न सताए या किसी तरह की उन्हें पीड़ा न हो इसके लिए भी इनके प्रयास चलते रहे। इसमें सुबह-शाम क्वारंटाइन किए गए लोगों को योगाभ्यास कराना प्रमुख था।
डिप्टी कलेक्टर भव्या त्रिपाठी ने बताया था कि क्वारंटाइन किए लोगों को कोई असुविधा न हो इसका विशेष ध्यान रखा जाता रहा। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा उनकी स्क्रीनिंग, उनके मनोरंजन के लिए सुबह योगाभ्यास और शाम को पीटी होती थी। ट्रेनर और स्पोर्ट्स टीचर से सहायता ली गई। एमडीएम के माध्यम से वितरति होने वाले खाने और नाश्ते का विशेष ध्यान रखा गया और आयुष विभाग की ओर से काढ़ा पिलाया गया। उन्होंने बताया कि वह 24 मार्च से इस कार्य को संभालने में लग गईं और स्वयं की सुरक्षा को देखते हुए घर पहुंचने के पहले ही खुद को सैनिटाइज करने के बाद ही घर में प्रवेश करती थीं। चूंकि उस दौरान वह घर पर अकेली थीं इसलिए उनका होम क्वारंटाइन ही है।एसडीआरएफ होमगार्ड विभाग की प्लाटून कमांडर प्राची दुबे ने बताया कि वह भव्या मैडम के साथ 24 घंटे अलर्ट पर रहती थीं। देर रात भी यदि कोई बाहरी व्यक्ति शहर की सीमा में प्रवेश करता है तो वे तत्काल मौके पर पहुंचती हैं और उसकी स्क्रीनिंग कराकर क्वारंटाइन करवाने के बाद ही वापस आती थीं। उन्होंने बताया कि करीब 400 लोगों को क्वारंटाइन कराया था और करीब 700 लोगों को होम क्वारंटाइन किया गया था।प्लाटून कमांडर प्राची दुबे ने बताया कि वह घर पहुंचकर अपने आप को सैनिटाइज कर होम क्वारंटाइन कर लेती थीं। अपना अलग कमरा कर लिया था, जिसमें वह रहती थीं। परिवार के लोग टेबल पर खाना रखकर चले जाते थे। वर्दी रात में धोकर अगले दिन नई पहनती थीं।