भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस रोलआउट करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। ट्राई की ओर से सैटेलाइट इंटरनटे सर्विस के स्पेक्ट्रम आवंटन और प्राइसिंग को तय करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इसके लिए ट्राई ने कंसल्टेशन पेपर जारी करके सुझाव मांगे हैं। अगर साधारण शब्दों में समझें, तो भारत में जल्द ही सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू होने वाली है, जिसमें आपको मोबाइल टॉवर के नेटवर्क की जरूरत नहीं होगी। मतलब मोबाइल यूजर्स को जियो, एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और बीएसएनएल जैसी टेलिकॉम सर्विस के खराब नेटवर्क से छुटकारा मिल सकता है।
नहीं पड़ेगी मौसम की मार
सैटेलाइट सर्विस की सबसे अच्छी बात है कि इस सर्विस में कोई भी तार या फिर मोबाइल टॉवर की जरूरत नहीं होती है। इसमें सीधे आपके फोन पर सैटेलाइट से नेटवर्क कनेक्टिविटी दी जाती है। ऐसे में खराब मौसम की वजह से मोबाइल नेटवर्क ड्रॉप होने या फिर कनेक्शन न मिलने की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
ट्राई ने स्टेकहोल्डर से मांगे जवाब
ट्राई ने सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के स्पेक्ट्रम आवंटन और प्राइसिंग को लेकर स्टेकहोल्डर को 18 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने का वक्त दिया है। साथ ही 25 क्टूबर तक काउंटर जवाब पूछे जा सकेंगे। सैटकॉम सर्विस के लिए रेडियो वेब के असाइनमेंट के लिए गाइडलाइन तैयार करने का निर्देश दिया गया है। अगर सैटेलाइट कनेक्टिविटी की बाद करें, तो भारत में भारती समूह समर्थित यूटेलसैट वनवेब, जियो सैटेलाइट कम्युनिकेशंस, स्पेसएक्स और अमेजन कुइपर जैसी संस्थाएं सैटेलाइट सर्विस के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन में हिस्सा ले सकती है। इससे पहले, दूरसंचार विभाग ने खास सैटेलाइट बेस्ड कॉमर्शिलयल कम्यूनिकेशन सर्विस के लिए स्पेक्ट्रम के आवंटन के नियम और शर्तों को लकेर ट्राई की सिफारिशें मांगी थीं। सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन के बाद भारत में स्टारलिंक और प्रोजेक्ट कुइपर जैसे ग्लोबल प्लेयर की एंट्री का रास्ता खुल सकता है।