इस्लामाबाद: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के कई सदस्य नए साल यानी 1 जनवरी, 2025 से बदल गए हैं। परिषद में दो साल के कार्यकाल के लिए नए गैरस्थायी सदस्यों की एंट्री हुई है। इन सदस्यों में एक पाकिस्तान भी है। इस एंट्री ने खासतौर से भारत का ध्यान खींचा है। पाकिस्तान के यूएनएससी के इतिहास और भारत से रिश्ते में तनाव को देखते हुए ये नई दिल्ली की परेशानी बढ़ा सकता है। ये इसलिए भी अहम है क्योंकि बांग्लादेश, म्यांमार, अफगानिस्तान जैसे कई एशियाई देश अस्थिरता से गुजर रहे हैं। इसका फायदा पाकिस्तान अपने भारत विरोधी एजेंडे के लिए उठा सकता है।
पाकिस्तान के UNSC में शामिल होने से भारत ही नहीं दक्षिण एशिया के कई देशों की चिंता बढ़ सकती है। पाकिस्तान फिहाल अस्थायी सदस्य बना है लेकिन जुलाई 2025 में पाकिस्तान UNSC का अध्यक्ष भी बनेगा। इतना ही नहीं पाकिस्तान इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा बैन कमेटी में भी शामिल होगा, जो आतंकवादियों को नामित और उनको बैन करती है। ऐसे में पाकिस्तान के फैसले भारत को प्रभावित करने वाले हो सकते हैं।
आतंक के मुद्दे उठाएगा पाकिस्तान
पाकिस्तान ने UNSC के सदस्य के रूप में अपने एजेंडे में ‘अफगानिस्तान में आतंकवाद’ का मुद्दा उठाने की बात कही है। यह पाक का TTP और दूसरे गुटों को काबू करने का प्रयास है। पाकिस्तान ने इन हमलों के लिए अफगानिस्तान और उसके तालिबान शासकों को जिम्मेदार ठहराया है। पाकिस्तान दुनिया को दिखाना चाहता है कि वह आतंकवाद से पीड़ित है। वह खुद को आतंक का शिकार दिखाकर भारत के उस स्टैंड को कमजोर करना चाहता है, जिसमें भारत कहता रहा है कि पाकिस्तान में आतंक को पनाह मिल रही है।
पाकिस्तान ने कश्मीर के मुद्दे पर भी अपने एजेंडे को छुपाया नहीं है। पाकिस्तान के लिए UNSC में कश्मीर का मुद्दा सबसे प्रमुख रहने वाला है। पाकिस्तान की कोशिश है कि कश्मीर मुद्दे को मुखरता से उठाकर दुनिया के सामने इसे एक बड़े विवाद की तरह पेश किया जाए और भारत को आर्टिकल 370 हटाने के लिए घेरा जाए। पाकिस्तान ने कश्मीर को UNSC के एजेंडे पर सबसे पुराने मुद्दों में से एक कहा है।