एक ओर संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य व्यवस्थाएं लड़खड़ा की गई है, तो वहीं दूसरी ओर ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का कार्य संभालने वाली आशा व आशा सहयोगी बहनों ने भी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है।जिनके हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के बुरे हाल हैं। जहां जिले भर में चरमराई हुई स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को पुनः पटरी पर लाने के लिए आज मंगलवार को स्वास्थ्य अधिकारियों ने हड़ताली आशा व आशा सहयोगी प्रकोष्ठ कर्मचारियों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं जानी,,वही हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों से उन्होंने हड़ताल खत्म कर कार्य पर तुरंत लौट कर आने का निवेदन किया । लेकिन हड़ताली कर्मचारी नहीं माने जिसके चलते प्रशासनिक स्वास्थ्य अधिकारियों को बैरंग लौटना पड़ा। आपको बताएं कि वर्षों से लंबित अपनी विभिन्न सूत्रीय मांगे पूरी ना होने से आशा व आशा सहयोगी कार्यकर्ता प्रदेश सरकार के साथ साथ स्थानीय प्रशासन से खासे नाराज हैं।जिन्होंने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ उग्र आंदोलन करने की रणनीति बनाई है। जहां विभिन्न मांगे पूरी ना होने से नाराज आशा व आशा सहयोगी कार्यकर्ताओ द्वारा 28 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की जा रही है जो 3 जनवरी मंगवार को भी जारी रही। जहां अनिश्चितकालीन हड़ताल के 8 दिन बीत जाने पर भी आशा व आशा सहयोगी बहनों की अब तक मांग पूरी नहीं हो पाई है। जहां आशा उषा बहनों के हड़ताल पर चले जाने से स्वस्थ व्यवस्थाओं पर खासा असर पड़ रहा है। जिसके चलते आज मंगलवार को सिविल सर्जन डॉ संजय धबड़गाँव और जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ परेश उपलप ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठी आशा बहनों से मुलाकात कर उनके द्वारा शुरू की गई इस अनिश्चितकालीन हड़ताल को समाप्त करने का आग्रह किया लेकिन बात नहीं बनी। जिसके चलते हड़ताल समाप्त करने पहुंचे सिविल सर्जन डॉ संजय धड़गांव जिला टीकाकरण अधिकारी परेश उपलप सहित अन्य चिकित्सक को वापस बैरंग लौटना पड़ा। जहां हड़ताल पर बैठी आशा सहयोगिनी कार्यकर्ताओं ने स्पष्ट कर दिया कि उनकी समस्त मांगे स्थानीय है जिसे प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा पूरा किया जा सकता है लेकिन प्रशासनिक अधिकारी उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं ,और बजट का इशू बनाया जा रहा है जिसके चलते उन्होंने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की है। जहां उन्होंने मानदेय का पूर्ण भुगतान किए जाने की प्रमुख मांग पूरी होने पर ही उनके द्वारा शुरू की गई अनिश्चितकालीन हड़ताल समाप्त किए जाने की बात कही है