जबलपुर। भारतीय विधिज्ञ परिषद, बीसीआइ ने कड़े नियम अधिसूचित कर दिए हैं। इनके तहत अब किसी भी न्यायाधीश, बीसीआइ व स्टेट बार पदाधिकारी के आदेशों के खिलाफ अनुचित टिप्पणी किसी भी अधिवक्ता को महंगी पड़ सकती है। इस तरह के रवैये को कदाचरण की परिधि में रखकर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।
स्टेट बार उपाध्यक्ष आरके सिंह सैनी ने उक्त जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बीसीआइ द्वारा अधिवक्ताओं को अनुशासित रखने के लिए बेहद सख्त रुख अपनाया जा रहा है। इसके तहत आचरण व शिष्टाचार को लेकर नए नियम सृजित कर दिए गए हैं। बीसीआइ ने अधिवक्ताओं का समाज व बार के प्रति कर्त्तव्य नए सिरे से सुपरिभाषित किया है। इसके अंतर्गत व्यवस्था दी गई है कि एक अधिवक्ता अपने दैनिक जीवन में स्वयं को एक सज्जन व्यक्ति के रूप में स्थापित करेगा। उसका आचरण साफ-सुथरा होगा। वह कोई भी गैर कानूनी कार्य नहीं करेगा।
मीडिया के जरिये अनर्गल संवाद प्रतिबंधित : बीसीआइ ने यह भी साफ कर दिया है कि बीसीआइ या स्टेट बार के किसी भी संकल्प या आदेश के खिलाफ देश का कोई भी वकील मीडिया के जरिये अनर्गन टिप्पणी हर्गिज नहीं करेगा। यही नहीं किसी भी न्यायाधीश के खिलाफ भी अपमानजनक टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दुर्भावना या शरारत साबित होने पर कदाचार माना जाएगा। इस तरह कोई भी वकील ऐसी विज्ञप्ति जारी नहीं कर सकता, जिसके कारण न्यायालय, बीसीआइ या स्टेट बार की मानहानि होती हो। बीसीआइ व स्टेट बार के निर्णय सभी वकीलों के लिए मान्य होंगे। उन पर अनावश्यक टीका-टिप्पणी अनुचित होगी।