साल 1988 में लंदन से न्यूयॉर्क जाने वाली फ्लाइट पैन एम 103 में धमाका करने के आरोपी को अमेरिका ने रविवार को अपनी कस्टडी में लिया है। 34 साल पहले स्कॉटलैंड के लॉकरबी में हुए इस आतंकी हमले में फ्लाइट में मौजूद 259 लोगों की जान गई थी। इसके साथ ही 11 अन्य लोग इसका मलबा गिरने के कारण मारे गए थे। घटना में 270 लोगों की मौत हुई थी। यह इंग्लैंड की धरती पर हुआ अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जाता है ।
स्कॉटलैंड और अमेरिका के अधिकारियों ने बताया कि आरोपी का नाम अबु अगेला मसूद खैर अल-मरीमी है जो लिबिया का निवासी है। स्कॉटलैंड के क्राउन ऑफिस के मुताबिक आरोपी के पकड़े जाने की जानकारी उन सभी परिवारों को दी गई जिनके लोग इस हमले में मारे गए थे।अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने जानकारी दी है कि उसकी पहली पेश वॉशिंगटन डीसी की कोर्ट में होगी।
2020 में अमेरिका ने तय किए थे आरोप
2020 में जब आतंकी हमले के 32 साल पूरे हुए तो अमेरिका ने मसूद के खिलाफ हमले लेकर कई नए आरोप तय किए थे। जिसके 2 साल बाद 11 दिसंबर 2022 को उसे अमेरिका ने कस्टडी में लिया है। अमेरिका के अटॉर्नी जनरल ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि आखिरकार अब कई अमेरिकियों और दूसरे लोगों की जान लेने के इस आरोपी गुनहगार को सजा मिलेगी।
इस तरह मसूद के हमले की साजिश में शामिल होने का हुआ खुलासा
1988 के आतंकी हमले की जांच में साल 2017 में तब बड़ा मोड़ आया जब अमेरिकी अधिकारियों के हाथ मसूद का लिबिया की इंटेलिजेंस एजेंसी को दिया गया इंटरव्यू हाथ लगा। यह इंटरव्यू साल 2012 में गद्दाफी की सरकार के गिरने के बाद किया गया था। उस वक्त इंटेलिजेंस एजेंसी ने उसे कस्टडी में रखा था।
इसी इंटरव्यू में उसने कबूल किया कि पैन एम फ्लाइट 103 में हमले के लिए उसी ने बॉम्ब बनाया था। उसने कहा कि इस काम में उसके साथ दो और लोग भी थे। FBI के हलफनामे में बताया गया है कि इस हमले की साजिश में लिबिया की इंटेलिजेंस एजेंसी भी शामिल थी। गद्दाफी ने हमले के लिए उसे और दूसरे सदस्यों को धन्यवाद कहा था।
आतंकी हमले के एक आऱोपी को दी जा चुकी है सजा
1991 में पैन एम फ्लाइट 103 में हुए आतंकी हमले का लिबिया की इंटेलिजेंस के दो लोगों को आरोपी ठहराया था। इनमें से एक अब्दुल बासित अल-मगराही और दूसरा लामेन खलीफा फहिमा था। इस हमले में फहिमा पर लगे आरोपी सिद्ध नहीं हो पाए।
साल 2001 में लीबिया के खुफिया अधिकारी अब्दुल बासित अल-मगराही को विमान में बम विस्फोट का दोषी करार दिया गया था। हमले के संबंध में दोषी ठहराया गया वह एकमात्र व्यक्ति था। कैंसर से पीड़ित होने के चलते 2009 में करुणा के आधार पर मगराही को रिहा कर दिया गया था। साल 2012 में लीबिया में मगराही की मौत हो गई थी।