आधार कार्ड की मदद से मां को 6 साल से लापता उसका बेटा मिल गया। बेंगलुरू के रहने वाले 19 साल के भरत ना ही बोल सकते हैं और न ही सुन सकते हैं। आज से 6 साल पहले 13 की उम्र में मार्च 2016 में भरत अपने परिवार से बिछड़ गए थे। भरत 2016 में एक बाजार से लापता हो गए थे, जब उनकी मां पार्वथम्मा बाजार में सब्जियां बेच रही थीं। बेटे के लापता होने पर मां ने पास के ही येलहंका थाने में अपहरण की शिकायत दर्ज कराई थी। हालांकि, पुलिस को अपहरण की घटना का कोई सुराग नहीं लग सका था।
बेंगलुरू से लापता होने के बाद अक्टूबर 2016 में भरत नागपुर रेलवे स्टेशन पर मिले। जब उनसे घर के बारे में पूछा गया, तब वहां कुछ भी बता पाने में असमर्थ थे। रेलवे के अधिकारियों ने भरत को पास के ही एक शेल्टर होम (अनाथालय) भेज दिया था।
हाल ही में शेल्टर होम (अनाथालय) के काउंसलर महेश रणदीव ने जनवरी में भरत के आधार कार्ड के लिए नामांकन कराया। आधार कार्ड के नामांकन के दौरान भरत ने जब अपनी उंगलियों के निशान प्रदान किए, तब मशीन ने निशानों के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया, क्योंकि भरत के नाम पर बेंगलुरु में पहले से ही एक मौजूदा आधार कार्ड था।
इसके बाद आधार सेंटर के अधिकारियों ने मुंबई के एक क्षेत्रीय आधार कार्यालय से संपर्क किया और पुष्टि की कि भरत के उंगलियों के निशान बेंगलुरु में बने आधार कार्ड से मेल खाते हैं। इसके बाद लड़के की मां का पता लगाने के लिए केंद्र के अधिकारी ने कर्नाटक पुलिस से संपर्क किया। अगले ही दिन बेंगलुरू पुलिस के साथ भरत की मां नागपुर पहुंची और अपने कलेजे के टुकड़े को 6 साल बाद देख वह बेहद भावुक हो उठीं।