यह ज्यादा पुरानी घटना नहीं है। आपको याद होगा ही। दक्षिण-पूर्व बिहार में गंगा नदी पर बन रहा एक महासेतु (Ganga Bridge) चार जून 2023 को शाम सवा छह बजे भरभराकर गिर गया था। यह पुल भागलपुर जिले के सुल्तानगंज को खगड़िया जिले के अगुवानी से जोड़ने के लिए बनाया जा रहा था। इसके बाद सुल्तानगंज-अगुवानी महासेतु (Sultanganj Ganga Bridge) का कुछ हिस्सा गंगा नदी में समा गया था। करीब 1,710 करोड़ रुपये की लागत से यह पुल बिहार सरकार बनवा रही है और इसे बनानेवाली कंपनी है एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन कंपनी। इस दुर्घटना पर एनएचएआई (NHAI) के एक वरिष्ठ इंजीनियर का बड़ा बयान आया है। उनका कहना है कि यदि इस पुल के निर्माण में कार्बन स्टील के बदले स्टेनलेस स्टील का ज्यादा से ज्यादा उपयोग किया गया होता तो ऐसा नहीं होता।
स्टेनलेस स्टील पुलों के लिए बेहतर विकल्प
पिछले दिनों ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में केंद्रीय इस्पात मंत्रालय की ओर से इंडिया स्टेनलेस स्टील एक्सपो-2023 का आयोजन किया गया था। तीन दिवसीय इस सम्मेलन के दूसरे दिन बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर और स्टेनलेस स्टील विषय पर एक पैनल डिस्कशन हुआ था। इसी दौरान नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के GM (Technical) पंकज विशाल ने अपना प्रजेंटेशन दिया था। इस अवसर पर उन्होंने सुल्तानगंज में महासेतु के ढहने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यदि उसमें स्टेनलेस स्टील का ज्यादा से ज्यादा उपयोग किया गया होता तो ऐसा नहीं होता। उनके मुताबिक स्टेनलेस स्टील पुलों के निर्माण के लिए एक अच्छा विकल्प है। तभी तो एनएचएआई ने आने वाले वर्षों में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग करने का मन बनाया है।
मेंटनेंस जीरो और स्थिरता की पूरी गारंटी
इंडियन स्टेनलेस स्टील डेवलपमेंट एसोसिएशन की सहभागिता से आयोजित इस सम्मेलन में पंकज विशाल ने कहा कि स्टेनलेस स्टील काफी उपयोगी मेटल है। क्योंकि इसका मेंटनेंस कॉस्ट जीरो है। लेकिन इसके साथ स्थिरता की पूरी गारंटी होती है। हां, शुरू में इसका कॉस्ट कुछ ज्यादा पड़ता है, लेकिन इसकी लंबी उम्र से उसकी भी भरपाई हो जाती है। सबसे अच्छी बात यह है कि इससे सुरक्षा सुनिश्चित होती है।