एमबीबीएस के छात्रों को नहीं मिली हिंदी की पुस्तकें

0

एमबीबीएस के छात्र-छात्राओं की प्रथम वर्ष की पढाई तो प्रारंभ हो चुकी है लेकिन उनको हिंदी में प्रकाशित पुस्तकें अभी तक उपलब्ध नहीं हो सकी है।उम्मीद जताई जा रही है कि दिसंबर के महीने तक यह पुस्तकें बाजार में उपलब्ध हो जाएगी। प्रकाशक को इस बात का डर है कि पुस्तकें छापने के बाद अगर उनकी बिक्री नहीं हुई तो नुकसान की भरपाई कैसी हो पाएगी। इन पुस्तकों से पढ़ने के बाद विद्यार्थियों से प्रतिक्रिया ली जाएगी। उनके सुझाव के अनुसार पुस्तकों में बदलाव किया जा सकता है। इसके अलावा एमबीबीएस द्वितीय वर्ष के लिए तैयार की जा रही पुस्तकों को अंतिम रूप देने के पहले भी उनमें सुझावों के अनुसार संशोधन किया जाएगा। प्रथम वर्ष की पुस्तकें तैयार करने वाली समिति में शामिल प्राध्यापकों ने बताया कि कुछ विद्यार्थियों को सैंपल के तौर पर कुछ रफ सामग्री दी गई थी। उनके सुझाव के अनुसार ही पुस्तकें तैयार हुई हैं। अब संपूर्ण पुस्तक का अध्ययन करने के बाद विद्यार्थियों से जो सुझाव मिलेंगे उन्हें भी समाहित करते हुए पुस्तकों में संशोधन होगा। गांधी मेडिकल कालेज में कक्षाओं के दौरान प्राध्यापकों ने विद्यार्थियों से पूछा कि हिंदी माध्यम के कितने लोग हैं तो 250 में से सात ने ही हां कहा। लगभग हर चिकित्सा महाविद्यालय में यही स्थिति है। ऐसे में प्रकाशक को भी इस बात की चिंता है कि पुस्तकें नहीं बिक पाएंगी। दूसरी बात यह भी है कि एमबीबीएस के विद्यार्थी पाठ्य पुस्तक की जगह कोचिंग संस्थानों से मिले नोट्स का उपयोग पढ़ाई में करते हैं। बता दें कि अंग्रेजी की पुस्तकों का हिंदी में रूपांतरण किया गया है। पुस्तकों में हिंदी के साथ अंग्रेजी के भी शब्दों का उपयोग स्पेलिंग के साथ किया गया है। बता दें कि 16 अक्टूबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भोपाल के लाल परेड मैदान से प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा की हिंदी में पढ़ाई का शुभारंभ और पुस्तकों का विमोचन किया था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here