औलाद नहीं थी इसलिए जानवरों से था प्रेम, कुत्ते के काटने से हो गई मौत

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 शादी को लंबा समय बीतने के बाद भी कुशवाहा दंपती को औलाद नहीं हुई तो अकेलापन दूर करने के लिए उन्होंने जानवरों से प्रेम करना शुरू कर दिया। नियति को कुछ और ही मंजूर था। जिस पालतू कुत्ते को वह बेटे की तरह प्यार करते थे, उसके काटने से हुए रेबीज रोग ने घर के मुखिया की जान ले ली। घटना टीला जमालपुरा इलाके की है।

टीला जमालपुरा थाना प्रभारी आरएस रैगर ने बताया कि राम मंदिर के पास रहने वाले रामबाबू कुशवाहा (59) आलू-प्याज का कारोबार करते थे। काफी पहले रामबाबू को कुत्ते ने काट लिया था, लेकिन उन्होंने तब इंजेक्शन नहीं लगावाए थे। 16 जनवरी को हालत बिगड़ने पर उन्हें उपचार के लिए हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान सोमवार रात रामबाबू की मौत हो गई। रामबाबू के पड़ोसी राहुल ने बताया कि मूलत: ग्वालियर के रहने वाले रामबाबू करीब 21 वर्ष से किराए के मकान में पत्नी लक्ष्मी देवी के साथ रहते थे। उनकी कोई औलाद नहीं थी। इस वजह से कुशवाहा दंपती ने जानवरों से प्रेम करना शुरू कर दिया था। पूर्व में उन्होंने घर में बंदर, कुत्ते, बिल्ली, खरगोश, सफेद चूहे आदि पाल रखे थे। उनका कुशवाहा दंपती बड़ा ख्याल भी रखते थे। करीब चार माह पहले उनके पालतू कुत्ते में पागलपन के लक्षण दिखने लगे थे। इसके बाद भी रामबाबू कुशवाहा उसे छोड़ना नहीं चाह रहे थे। एक दिन वह कुत्ते को नहला रहे थे, तभी कुत्ते ने रामबाबू के दाहिने हाथ के अंगूठे में दांत गड़ा दिए थे। लेकिन रामबाबू ने इलाज नहीं करवाया। राहुल ने बताया कि उसने किसी तरह रामबाबू को राजी कर कुत्ते को पकड़कर नगर निगम के अमले को सौंप दिया था।

पानी से डरने लगे थे, पत्नी से अकारण करने लगे थे मारपीट

घटना के कुछ दिन बाद कुत्ते के काटने का असर रामबाबू पर दिखने लगा था। वह पानी देखकर बेहद डर जाते थे। पत्नी के साथ अकारण मारपीट करने लगते थे। बीमार होने पर वह कोरोना संक्रमण के डर से अस्पताल नहीं जाते थे। कमजोरी महसूस होने पर डॉक्टर को घर बुलाकर इलाज करवाते थे। 16 जनवरी को जब उनकी हालत काफी खराब होने लगी तो उन्हें हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मंगलवार को रामबाबू का अंतिम संस्कार कर दिया गया।

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