प्रदेश में कोरोनारोधी टीका की सतर्कता डोज लगवाने को लेकर लोग गंभीर नहीं हैं। प्रदेश में पांच करोड़ से ज्यादा लोगों को सतर्कता डोज लगाई जानी है। लेकिन सतर्कता डोज लगवाने को लेकर कतई गंभीर नहीं है। मालूम हो कि कोरोना वायरस कब अपना स्वरूप बदलकर खतरनाक बन जाए, इस बात पर बड़े डाक्टर और विज्ञानी भी कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है। 18 साल से ऊपर के लोगों को नि:शुल्क सतर्कता डोज लगाने का अभियान प्रदेश में 15 जुलाई से शुरु हुआ है। इसमें अभी तक 70 लाख 61 हजार लोगों ने ही सतर्कता डोज लगवाई है। 15 जुलाई के पहले 18 से ऊपर के लोगों को निजी अस्पतालों में सतर्कता डोज लग रही थी। सरकार की तरफ से 60 साल से ऊपर वालों के साथ स्वास्थ्यकर्मी और अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों की ही सतर्कता डोज लगाई जा रही थी। 15 जुलाई के पहले इन सभी को मिलाकर 28 लाख को सतर्कता डोज लगी थी। इस तरह प्रदेश में अब तक 98 लाख 58 हजार लोगों को सतर्कता डोज लग चुकी है। सतर्कता डोज लगवाने वालों में नौ लाख 40 हजार स्वास्थ्यकर्मी और अग्रिम पंक्ति के कर्मचारी हैं। बाकी 18 साल से ऊपर के दूसरे लोग हैं। बता दें कि प्रदेश पांच करोड़ 39 लाख लोगों ने अभी तक कोरोनारोधी टीका की दोनों डोज लगाई जा चुकी है। इनमें जिन्हें दूसरी डोज लगवाए छह महीने हो गए हैं उन्हें सतर्कता डोज लगाई जा रही है। इस बारे में हमीदिया अस्पताल के छाती और श्वांस रोग के विभागाध्यक्ष डा. लोकेन्द्र दवे का कहना है कि कोरोना के मरीज कम आ रहे हैं। इसकी वजह यह है कि जांच कराने के लिए लोग नहीं जा रहे हैं, लेकिन यह अच्छी बात है कि 98 प्रतिशत मरीज घर में ही रहकर ठीक हो जा रहे हैं। यह टीकाकरण का ही असर है। मरीज बढ़ने की एक वजह यह भी हो सकती है जिन्हें टीका लगवाए छह महीने से ज्यादा हो गए हैं उन पर टीकाकरण का असर धीरे-धीरे कम हो रहा होगा