8 जुलाई को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के अंतिम परिणाम आने के बाद से ही जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए क्षेत्र क्रमांक 20 से जीत कर आए सम्राट सिंह सरस्वार कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी 100 प्रतिशत तय मानी जा रही है।
सम्राट अशोक सिंह सरस्वार की जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी 100 प्रतिशत तय माने जाने के पीछे सम्राट सरस्वार का जिला पंचायत चुनाव में उतरने से लेकर चुनाव परिणाम तक सब कुछ सम्राट सरस्वार के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं। इसीलिए हम इतने दावे के साथ कह रहे हैं कि अध्यक्ष पद के लिए सम्राट सरस्वार की दावेदारी सबसे अधिक पुख्ता है। चलिए आपको जिला पंचायत अध्यक्ष बनने की दावेदारी का 100 प्रतिशत सच और जमीनी हकीकत दोनों ही से रूबरू करवाते हैं।
दरअसल जिला पंचायत चुनाव में आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद से यह तय हो गया था कि इस बार जिला पंचायत का अध्यक्ष सामान्य वर्ग का व्यक्ति बनेगा। जिसके बाद से ही बालाघाट के पूर्व विधायक अशोक सिंह सरस्वार के पुत्र सम्राट सिंह सरस्वार के चुनाव लड़ने की अटकलें शुरू हो गई। लेकिन चुनाव की अटकलों के साथ ही यह तय हो गया कि यदि सम्राट सरस्वार चुनाव लड़ते हैं और कांग्रेस पार्टी को बहुमत मिलता है तो वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार होंगे या फिर यह कहे कि उन्हें ही जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया जाएगा।
जिला पंचायत सदस्य नामांकन भरने के साथ ही इस बात की अटकलें भी शुरू हो गई, कि सम्राट सरस्वार क्षेत्र क्रमांक 20 से जिला पंचायत सदस्य के रूप में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं क्या सब कुछ कांग्रेस पार्टी की मंशा के मुताबिक होगा, क्या सम्राट सरस्वार चुनाव जीतकर अपनी पार्टी के सदस्यों द्वारा चुने हुए अध्यक्ष बन पाएंगे?
इस बात को देखते हुए राजनीतिक जानकार बताते हैं कि सम्राट सिंह सरस्वार ने जिला पंचायत चुनाव में किस्मत आजमा रहे लगभग अपने सभी कांग्रेसी समर्थित प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने में पूरी मदद की। नतीजा सम्राट सरस्वार के जिला पंचायत चुनाव में एंट्री के साथ कांग्रेसियों में नया जोश भर गया।
लेकिन किसी ने सच ही कहा है कि राजनीति में जितने दोस्त नहीं उससे अधिक राजनीतिक दुश्मन खड़े हो जाते हैं, फिर क्या था बालाघाट-कटंगी- वारासिवनी विधानसभा में अपनी दावेदारी करने की योजना बना रहे पार्टी के लोगों ने पूरी कोशिश की सम्राट सरस्वार चुनाव में जीत हासिल ना कर सके। लेकिन पारिवारिक छवि, पारिवारिक पृष्ठभूमि, पूर्व विधायक पिता अशोक सिंह सरस्वार की छवि के साथ ही व्यक्तिगत स्वच्छ छवि के कारण लालबर्रा क्षेत्र क्रमांक 20 की जनता ने उन्हें पूरा समर्थन दिया और वे इस चुनाव में जीत हासिल करने में सफल हो गए।
9 जुलाई को जैसे ही यह स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस जिला पंचायत में 27 में से 14 जिला पंचायत सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है यही नहीं 6 में से लगभग 4 निर्दलीय प्रत्याशियों द्वारा कांग्रेस को अपना पूरा समर्थन दिया जा रहा है। इसके साथ ही यह तय हो गया कि जिला पंचायत अध्यक्ष कांग्रेस पार्टी का बनना तय है। फिर क्या था कार रेस की कुछ निर्वाचित सदस्यों द्वारा अध्यक्ष बनने का दावा भी पेश किया जाने लगा।
राजनीति के जानकार और सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में लांजी की विधायक हिना कावरे ने पहल करते हुए अपने ही कुछ वरिष्ठ साथियों को समझाया इसके साथ फटकार भी लगाई की विधानसभा लोकसभा में आरक्षण और जातिगत समीकरण की वजह से सामान्य वर्ग के व्यक्ति विशेष को कोई मौका नहीं मिल पाता। जब इस बार आरक्षण में यह तय हुआ है कि सामान्य वर्ग का व्यक्ति जिला पंचायत अध्यक्ष पद की सीट पर काबिज होगा तो फिर सम्राट सरस्वार के नाम पर स्वीकृति बनाई जाए।
नामांकन फॉर्म भरने से लेकर चुनाव लड़ने और कांग्रेस के पक्ष में आने वाले परिणाम सब कुछ इस बात किस संकेत दे रहे हैं कि इस बार जिला पंचायत सदस्य के रूप में अपनी किस्मत आजमाने के लिए तैयार हुए सम्राट सरस्वार अध्यक्ष पद पर काबिज हो जाएंगे। यह पहला मौका होगा जब जिला पंचायत अध्यक्ष पर कोई सामान्य वर्ग के व्यक्ति का क़ाबजी होगा। इसके पूर्व के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो लगभग 22 वर्ष से जिला पंचायत पर ओबीसी महिला और एसटी महिला अध्यक्ष रही है। उसके पूर्व में पिछड़ा वर्ग के व्यक्ति जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं। इन सब बातों को देखते हुए यह कहना कहीं से भी अतिशयोक्ति नहीं होगी कि जिला पंचायत के अगले अध्यक्ष के रूप में कांग्रेस पार्टी सम्राट अशोक सिंह सरस्वार का नाम तय कर देगी।