भारतीय जनता पार्टी आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती उत्साह के साथ मना रही है लेकिन बिहार में पंडित दीनदयाल की जयंती समारोह में पहुंचकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नए सियासी उठापटक के संकेत दे दिए हैं। सियासी गलियारों के ये अटकलें लग रही है कि क्या बिहार में एक बार फिर खेल हो सकता है? सवाल उठ रहे हैं कि क्या चुनाव से पहले नीतीश कुमार एक बार फिर अपना पाला बदल सकते हैं। हालांकि आगे क्या होगा यह देखने वाली बात होगी।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय को दी श्रद्धांजलि
राजधानी पटना में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 107वीं जयंती के मौके पर भाजपा नेताओं की ओर से समारोह का आयोजन किया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज चरखा मैदान में आयोजित जयंती समारोह में शामिल होने के साथ पंडित दीनदयाल उपाध्याय को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
‘मैं तो विपक्ष को एकजुट कर रहा हूं’
इस दौरान जब पत्रकारों ने नीतीश कुमार से एनडीए से लगाव को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि “क्या चर्चा होती है, इसमें मेरी दिलचस्पी नहीं है। मैं तो विपक्ष को एकजुट करने में व्यस्त हूं।”
वहीं दूसरी ओर भाजपा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार नाक भी रगड़ लें, फिर भी भाजपा का दरवाजा उनके लिए बंद हो चुका है। वे अब एक राजनीतिक बोझ हो चुके हैं और जो बोझ बन चुका है उसको ढ़ोने का काम भाजपा क्यों करेगी।
हालांकि इससे पहले भी कई बार ऐसे कयास लगाए गए हैं कि नीतीश कुमार आईएनडीआईए गठबंधन को छोड़कर भाजपा के साथ आ सकते हैं। हालांकि, आधिकारिक तौर पर इस बात की पुष्टि नहीं हुई है। आपको बता दें कि नीतीश कुमार ने आज कैबिनेट की बैठक भी बुलाई है और इस बैठक में कई बड़े फैसले हो सकते हैं।