खरीफ फसलों के लिए मध्‍य प्रदेश को 25 लाख मीट्रिक टन खाद मिलेगी, केंद्र ने दी सहमति

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रबी फसलों की कटाई प्रारंभ होने के साथ ही शिवराज सरकार खरीफ फसलों की तैयारी में जुट गई है। किसानों को समय पर और पर्याप्त मात्रा में खाद मिल जाए, इसके लिए केंद्र सरकार ने राज्य के प्रस्ताव पर सहमति दे दी है। इस बार 13 लाख टन यूरिया, दस लाख टन डीएपी और ढाई लाख टन एनपीके की आपूर्ति पूरे सीजन में केंद्र सरकार करेगी। यह पिछले साल की तुलना में अधिक है। इसके साथ ही सरकार ने अपने स्तर से अतिरिक्त खाद की व्यवस्था भी बनाई है। इसके तहत आठ लाख टन खाद का अग्रिम भंडारण किया जाएगा।

प्रदेश में प्रतिवर्ष सीजन के समय खाद की समस्या सामने आती है। प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के ऊपर काफी दबाव भी बनता है क्योंकि किसानों को 70 प्रतिशत खाद इसी माध्यम से उपलब्ध होती है। इसे देखते हुए सरकार ने इस बार आठ लाख मीट्रिक टन खाद का अग्रिम भंडारण करने का निर्णय लिया हैै। इसमें सरकार अपने संसाधनों से चार लाख टन यूरिया, तीन लाख टन डीएपी और एक लाख टन कांप्लेक्स खाद का भंडारण करेगी। यह खाद किसानों को बिना ब्याज लिए सीजन प्रारंभ होने से पहले दी जाएगी।

इसके साथ ही केंद्र सरकार को खरीफ सीजन के लिए खाद आपूर्ति का जो प्रस्ताव भेजा था, उस पर सहमति बन गई है। सोमवार को अपर मुख्य सचिव कृषि अजीत केसरी ने केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की। इसमें तय हुआ कि केंद्र सरकार 13 लाख मीट्रिक टन यूरिया, 10 लाख मीट्रिक टन डीएपी और ढाई लाख टन एनपीके की आपूर्ति पूरे सीजन में करेगी। पिछले साल 12.16 लाख टन यूरिया, छह लाख तीन हजार टन डीएपी और एक लाख 63 हजार टन एनपीके की आपूर्ति की गई थी।

पांच लाख टन खाद का भंडारण

कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में अभी पांच लाख मीट्रिक टन से अधिक खाद का भंडारण है। इसमें दो लाख 25 हजार मीट्रिक टन यूरिया, 70 हजार टन डीएपी, दो लाख टन सिंगल सुपर फास्फेट और 40 हजार टन एनपीके है। बीते रबी सीजन में किसानों को 16.50 लाख मीट्रिक टन यूरिया, पांच लाख 80 हजार मीट्रिक टन डीएपी, छह लाख 50 हजार मीट्रिक टन सिंगल सुपर फास्फेट और साढ़े तीन लाख मीट्रिक टन एनपीके की आपूर्ति की गई है।

मई में पहुंच जाएगी खाद

सहकारी समितियों को खरीफ फसलों की बोवनी प्रारंभ होने के पहले मई में खाद उपलब्ध कराई जाएगी। आपूर्ति पिछले साल की खपत के आधार पर की जाएगी। इसके लिए कृषि विभाग ने समितियों से पिछले साल की बिक्री की जानकारी बुलाकर कार्ययोजना बनाई है।

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