गबन के मामले में आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित गढ़ी के लिपिक लखनुसिंह को 7 वर्ष की कठोर कारावास और 50 रुपए अर्थदंड

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बालाघाट अपर सत्र न्यायाधीश भू भास्कर यादव की बैहर की अदालत ने गबन के मामले में आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित गढ़ी के लिपिक लखनूसिंह यादव को 7 वर्ष की कठोर और कारावास और 50 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किये। गढ़ी थाना अंतर्गत ठाकुर टोला निवासी इस आरोपी के विरुद्ध आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित गढ़ी में लिपिक के लोकपद पर पदस्थ होते हुए बचत बैंक के खातेदारों और कृषकों की की जमा राशि में से 2,86000 रुपये गबन करने का आरोप था। इस मामले में आरोपी बाबूलाल रंधवे ग्राम कुकर्रा निवासी की मौत हो चुकी है जो उस समय आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मैं प्रबंधक के पद पर पदस्थ था।

अभियोजन के अनुसार वर्ष 1999 से 21 जुलाई 2000 के मध्य आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित गढ़ी में प्रबंधक के पद पर फागुन लाल रंधवे लिपिक के पद पर लखनुसिंह यादव पदस्थ थे वित्त वर्ष 1999-2000 का ऑडिट करने पर पाया गया कि बचत बैंक के खातेदारों को भुगतान की गई राशि का उल्लेख रोकड़ पंजी में सही सही किया गया था किंतु डेली केश बुक में फर्जी भुगतान बताकर प्रबंधक और केसियर द्वारा 1,43327 रुपये75 पैसे का गबन किया गया। 15 जुलाई 1992 से 16 दिसंबर 2000 के दौरान खाद बिक्री पंजी में असत्य विवरण दर्ज कर 2 लाख 86 हजार 030 रुपये 80 पैसे का गबन किया जाना सामने आया। समिति के 40492 रुपए कीमत के फर्नीचर को गायब कर दिया गया था। खाद बिक्री परमिट में लखनु यादव ने 2175 रुपए का गबन किया। कुल मिलाकर 4,72025 रुपए 55 पैसे का गबन करना पाया गया। तब समिति के अध्यक्ष भैयालाल ने एक लिखित आवेदन थाना गढ़ी में प्रस्तुत किया था। जांच अनुसंधान के दौरान समिति से कुछ अभिलेख जप्त किए गए थे। संपूर्ण अनुसंधान पश्चात आरोपी फागुलाल एवं लखनुसिह के विरुद्ध धारा 420 467 468 447 409 भादरा के तहत अपराध दर्ज कर इस अपराध में दोनों को गिरफ्तार करने के उपरांत अभियोग पत्र विद्वान अदालत में पेश किया गया था। यह प्रकरण हाल ही में अपर सत्र न्यायाधीश भू भास्कर यादव की अदालत में चला इस मामले के चलते फागुन लाल रंधवे की मौत हो चुकी है। जिसके बाद यह मामला लखनु सिह यादव के विरुद्ध चला जहां अभियोजन पक्ष आरोपी लखनु सिंह यादव के विरुद्ध आरोपित का अपराध सिद्ध करने में सफल रहा।

मूल्य वृद्धि की तुलना में देखे तो यह छोटे-मोटे गबन का मामला नहीं है- विद्वान अदालत

बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने आरोपी लखनु सिह की ओर से अनुरोध किया कि मुख्य आरोपी फागुलाल था जिसकी मृत्यु हो गई है। आरोपी लखनुसिह वृद्ध हो गया है उसे न्यूनतम दंड दंडित किया जाए। जिस पर विद्वान अदालत ने विचार करते हुए कहा कि यह ठीक है कि प्रकरण का मुख्य आरोपी फागूलाल था किंतु समिति की कार्यकारिणी के प्रस्ताव का अवलोकन करें तो बचत बैंक के संपूर्ण जिम्मेदारी आरोपी लखनु को सौंपा गया था। आरोपी लखनु केसियर के रूप में काम कर रहा था ऐसे में वह दूसरे आरोपी पर जिम्मेदारी डालकर दंड से नहीं बच सकता। सन 1998- 99 में 2 लाख 86 हजार030 रुपये का गबन किया गया मूल्य वृद्धि की तुलना में देखे तो यह छोटे-मोटे गबन का मामला नहीं है।

और विद्वान अदालत ने सुनाई सजा

अतः विद्वान अदालत ने मामले की संपूर्ण परिस्थितियों को देखते हुए आरोपी लखनुसिंह यादव को धारा 467 भादवि के तहत अपराध के आरोप में 7 वर्ष की कठोर कारावास और 25000 रुपए अर्थदंड, धारा 409 भादवि के तहत अपराध के आरोप में7 वर्ष के कठोर कारावास एवं 25000 रुपए अर्थदंड से दंडित किए। इस मामले में शासन की ओर से अपर लोक अभियोजक अशोक कुमार वाट ने पैरवी की थी।

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