चीनी निगरानी कैमरे हटाएगा ऑस्ट्रेलिया:अमेरिका-ब्रिटेन के बाद ऑस्ट्रेलिया ने भी जासूसी से बचने के लिए फैसला लिया

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ऑस्ट्रेलिया सरकार ने अपने रक्षा विभाग की इमारतों से चीन से जुड़ी कंपनियों द्वारा निर्मित निगरानी कैमरे हटाने का फैसला किया है। ऑस्ट्रेलिया के उप प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस ने कहा कि उनका विभाग अपनी सभी निगरानी प्रौद्योगिकियों की समीक्षा कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘वे विशेष कैमरे जहां भी होंगे, उन्हें हटा दिया जाएगा।’

रिपोर्ट्स के मुताबिक चीनी कंपनियों हिकविजन और दहुआ द्वारा विकसित और निर्मित 913 कैमरे, इंटरकॉम, इलेक्ट्रॉनिक प्रवेश प्रणालियां और वीडियो रिकॉर्डर रक्षा विभाग और व्यापार एवं विदेश मामलों के विभाग सहित ऑस्ट्रेलिया सरकार और एजेंसी के कार्यालयों में लगे हुए हैं।

ऑस्ट्रेलिया ने ये फैसला ऐसे वक्त लिया है, जब अमेरिकी हवाई क्षेत्र में चीनी जासूसी गुब्बारा मिलने के कारण अमेरिका के साथ चीन का तनाव बढ़ गया है। इससे पहले, अमेरिका और ब्रिटेन भी नवंबर में अपने सरकारी दफ्तरों से चीन की कंपनियों के निगरानी उपकरण हटाने का फैसला कर चुके हैं।

PMO, कृषि और कैबिनेट में नहीं हैं चीनी कैमरे
ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने एक ऑडिट में पाया था चीन की इन कंपनियों के कैमरे और सुरक्षा उपकरण कृषि विभाग, प्रधानमंत्री और कैबिनेट विभाग को छोड़कर सभी विभाग में लगे हुए हैं।

देश के संवेदनशील डेटा को खतरा, चीन निर्मित कैमरे हटाना जरूरी है
चीन निगरानी उपकरणों का सबसे बड़ा निर्माता और सप्लायर है। आधे से ज्यादा निगरानी उपकरण और कैमरे उसी के लगे हुए हैं। यही उपकरण आम लोगों से लेकर सरकारों की गले की फांस भी हैं। चीन के बनाए सर्विलांस कैमरे इंटरनेट बेस्ड ऐप से संचालित हैं। जब ऐप को स्मार्ट फोन या एंड्रॉयड फोन पर स्टॉल किया जाता है तो हम उसकी शर्तों को मंजूरी देते चले जाते हैं।

जब कोई दूर बैठकर कोई अपने घर, दफ्तर या संस्थान की इन कैमरों से निगरानी करता है, तो इसका डेटा चीन तक पहुंच जाता है। चीन जैसे गैर भरोसमंद देश के लिए यह बिना खर्च के खजाना पा लेने जैसा है। इसकी दूसरी वजह चीन की नीति है, जिसके तहत चीनी कंपनी कम्युनिस्ट सरकार की ओर से मांगे जाने पर डेटा देने के लिए बाध्य है।

भारत सरकार के प्रतिष्ठानों खासकर इसरो, रक्षा विभाग, विदेश विभाग, सेनाओं जैसे बेहद संवेदनशील इलाकों में तो खतरा बड़ा है। संवेदनशीन जानकारी को चीनी जासूसी से बचाने के लिए जरूरी है कि इंटरनेट बेस्ड सर्विलांस सिस्टस से दूरी बनाएं।

अगर ऐसा संभव न हो तो निगरानी उपकरणों में VPN एक्सेस हो, ताकि डेटा देश से बाहर न जाए। संभव हो तो सभी संस्थानों में इंट्रानेट के माध्यम से निगरानी उपकरणों का इस्तेमाल किया जाए। दूसरे विकल्प में चीन के बजाय निगरानी उपकरण अन्य देशों से खरीदे जाएं।

देश के संस्थानों में 10 लाख चीनी कैमरे लगे
संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 2021 में संसद में बताया था कि चीनी कंपनियों के करीब 10 लाख CCTV सरकारी संस्थानों में लगे हैं। अमेरिकी थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के मुताबिक दुनिया के 33,000 शहरों में 24 घंटे 48 लाख से अधिक चीन कैमरे इंटरनेट से जुड़े रहते हैं।

चीन हावी: निगरानी उपकरणों का दुनिया में 4 लाख करोड़ का बाजार
दुनिया में निगरानी उपकरणों और कैमरों का बाजार 4 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच चुका है। इसमें दो तिहाई हिस्सा चीन का है। बाजार विश्लेषक फर्म मार्केटसेंडमार्केट के मुताबिक 4 साल तक 9.4% की ग्रोथ का अनुमान है। यह 2027 तक 6.3 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा।

चीन ने भारत में गुब्बारे से की जासूसी
अमेरिका ने चीनी जासूसी गुब्बारे पर दुनिया के 40 देशों को जानकारी साझा की है। इसमें भारत, फ्रांस, ब्रिटेन, जापान समेत अमेरिका के करीबी दोस्त शामिल हैं। चीन का यह जासूसी गुब्बारा अमेरिकी हवाई सीमा में दाखिल हो गया था। इसके बाद अमेरिका ने इसे गिरा दिया। इसका आकार करीब 200 फीट था।

खुलासा: गुब्बारे को चीनी सेना उड़ा रही थी, संचार सिग्नल पकड़ लेता था
अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि चीनी गुब्बारा संचार संकेतों को जुटाने में सक्षम था। यह चीनी सेना द्वारा निर्देशित निगरानी गुब्बारों के बेड़े का हिस्सा था। अमेरिका ने गुब्बारे की क्षमता का पता हाई रिजॉल्यूशन इमेजरी से लगाया। इसमें खुफिया निगरानी के लिए उपकरण लगे थे।

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